प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को दिल्ली के विज्ञान भवन में 98वें अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन का उद्घाटन किया। तीन दिन तक चलने वाला यह सम्मेलन 71 वर्षों में पहली बार राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में आयोजित हो रहा है। सम्मेलन में पीएम मोदी ने इंसानियत की अहमियत की बात की, जिसकी चौतरफा सराहना हो रही है।
प्रधानमंत्री मोदी ने सम्मेलन में शामिल साहित्यकारों और उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा कि भाषाएं समाज को जोड़ने का माध्यम होती हैं, लेकिन सबसे अहम है इंसानियत। उन्होंने कहा कि भाषा जोड़ती है, पर इंसानियत सबसे जरूरी है। उन्होंने इस दौरान संतों के उद्धरण और मराठी भाषा के महत्व की बात भी की। उन्होंने मराठी साहित्यकारों की भूमिका की सराहना की, जिन्होंने समाज में मानवता और एकता का संदेश दिया है।
सम्मेलन में शामिल डॉ. चंद्रकांत ने आईएएनएस से कहा कि प्रधानमंत्री ने मराठी मातृभाषा के बारे में बहुत कुछ बताया। तारा भवालकर ने भी मराठी की परंपरा को बहुत अच्छे से प्रस्तुत किया। मराठी को अभिजात भाषा का दर्जा मिल गया है। हम मराठी भाषा को और आगे बढ़ाने के लिए बहुत प्रयास करेंगे। यह सम्मेलन बहुत अच्छी तरह से चल रहा है। मोदी जी ने इंसानियत के बारे में बहुत अच्छे से बोला और अपनी कृति से भी इसे दिखाया। जब शरद पवार बोलकर बैठे, तो उन्होंने तुरंत उन्हें पानी दिया। यह इंसानियत का बेहतरीन उदाहरण है। इसके लिए मैं उनका बहुत-बहुत शुक्रिया करता हूं।
उर्मिला बुतकर ने कहा कि पीएम मोदी का संभाषण बहुत अच्छा और उच्च स्तर का था। उन्होंने मुंबई के लोगों को सम्मान दिया। गजानन दिगंबर मालवे जैसे कवियों का नाम लेकर उनकी रचनाओं का उल्लेख किया। मैं उन्हें बहुत-बहुत वंदना और मानवंदना देती हूं। उन्होंने कहा कि इंसानियत बहुत जरूरी है और मराठी से इंसानियत मिलती है। यह एक ऐसी भाषा है जो सबको जोड़ती है। प्रधानमंत्री ने सबका सम्मान किया, सबका नाम लिया और महाराष्ट्र का उत्कर्ष किया।
एक अन्य शख्स ने कहा कि यह सम्मेलन दिल्ली, हमारी देश की राजधानी में हो रहा है। प्रधानमंत्री जी यहां आए। हम 25 लोगों की टीम के साथ अलीबाग, शिवाजी रायगढ़ से आए हैं। हमें बहुत खुशी हुई कि मोदी जी ने मराठी भाषा के अभिजात दर्जे के बारे में इतना अच्छा कहा। उन्होंने हर मराठी साहित्यिक कवि का नाम लिया और शाबाशी दी कि उन्होंने यह दर्जा दिलाने में योगदान दिया। यह हम सभी मराठी वासियों के लिए बहुत अच्छा है। वे समय पर आए और उन्होंने बहुत महान काम किया। विकास के कामों के लिए उनके पास बहुत सारी सुविधाएं हैं। यह उनके प्रधानमंत्री पद के लिए सराहनीय है।
शलैजा ने कहा कि मैं यहां साहित्यिक अतिथि के रूप में निमंत्रित हूं। आज मोदी जी मराठी साहित्य सम्मेलन के उद्घाटन के लिए आए। उनकी बातों में गहरा साहित्यिक भाव छुपा है। उन्होंने इंसानियत की बात की और एक महत्वपूर्ण बात कही कि ‘भाषा जोड़ती है, तोड़ती नहीं। भाषा में मां का प्रेम होता है और मां का प्रेम कभी हिंसा नहीं सिखाता।’ यह मुझे बहुत पसंद आया। मैं उनके और सभी सहयोगियों को धन्यवाद देती हूं।
डॉ. भाऊ साहब नानावरे ने कहा कि अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन का उद्घाटन यहां संपन्न हुआ। प्रधानमंत्री ने मराठी भाषा, साहित्य और संस्कृति के बारे में बहुत कुछ बताया। उन्होंने महाराष्ट्र से आए सभी लोगों का हार्दिक स्वागत किया और सम्मेलन को बधाई दी। हमें बहुत अच्छा लगा।
एक अन्य ने सम्मेलन की तारीफ करते हुए कहा कि भाषा हमें जोड़ती है। भारत बहुभाषी देश है, मराठी, हिंदी, अंग्रेजी, सब में इंसानियत बड़ी बात है। भाषा संवाद का माध्यम है। पीएम मोदी ने यह बहुत अच्छे से बताया। नाने लक्ष्मण ने कहा कि शरद पवार भाषण के बाद जब कुर्सी पर बैठे, तो मोदी जी ने तुरंत उन्हें पानी दिया। यह इंसानियत की बड़ी बात है।
रेखा कोरे ने कहा कि पीएम मोदी की बात सही है कि भाषा जोड़ती है। भाषा और इंसानियत साथ-साथ चले, तो बहुत अच्छा है। यही संदेश उन्होंने दिया। शरद पवार महाराष्ट्र की जान हैं, उन्हें यहां देखकर अच्छा लगा। मोदी जी ने आज सबका मन जीत लिया। महाराष्ट्र के लोग उनसे खुश हैं।
प्रतीक ने कहा कि पीएम ने मराठी के सम्मान में अपने विचार रखे। उनका कहना था कि भाषा जोड़ती है, तोड़ती नहीं। हमारे देश में विविध भाषाएं हैं और हमें एक-दूसरे से प्यार करना चाहिए। भाषा नफरत या द्वेष नहीं, बल्कि प्यार सिखाती है। यह इंसानियत, जो हमारा सबसे बड़ा धर्म है, उससे जुड़ा है। उन्होंने मराठी के बारे में भी बहुत अच्छी बातें कही।
प्रसन्न उपाध्याय ने कहा कि प्रधानमंत्री का कहना था कि कोई भी भाषा हमसे दूर नहीं है। जो भाषा आपको आती है, जो करने की सोच है, वह सबको साथ लेकर चलने की उनकी सोच है। यह समाज को आगे बढ़ाने की बात है। भाषा के बारे में भी उन्होंने बहुत अच्छा बोला।
अमृता भगवान पाटिल ने कहा कि भाषा सबको समान रूप से देखती है, जैसे मां सबको समान प्रेम देती है। आज के समय में भाषा जरूरी है, क्योंकि इंसानियत बहुत महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री का कहना था कि जो अपनी मातृभाषा से प्रेम करता है, वह मानवता से भी प्रेम करता है। उसके अंदर मानवता का गुण जन्मजात होता है।
डॉ. सौविलिना ने कहा कि प्रधानमंत्री ने इंसानियत और मराठी साहित्य के बीच के संबंध को स्पष्ट किया। उन्होंने संत शिरोमणि ज्ञानेश्वर और नामदेव के उद्धरण के माध्यम से यह दिखाया कि मराठी साहित्य मानवता को बढ़ावा देता है और यह साहित्य जीवन की सच्ची दिशा दिखाता है।
शिवाजी रायगढ़ से आई उर्मिला बुतकर ने भी प्रधानमंत्री मोदी की सराहना करते हुए कहा, “प्रधानमंत्री ने मराठी भाषा और साहित्य को सम्मान दिया। उनका भाषण उच्चतम स्तर का था और उन्होंने सभी मराठी साहित्यकारों का आभार व्यक्त किया।”
डॉ. राजेन्द्र माने ने कहा कि प्रधानमंत्री ने मराठी भाषा को सम्मान दिया और यह सम्मेलन दिल्ली में होना मराठी समाज के लिए गर्व की बात है।
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