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रूस-यूक्रेन संघर्ष का समाधान खोजने की भूमिका निभा सकता है भारत : जिम्बाब्वे

नई दिल्ली :   जिम्बाब्वे की नेशनल असेंबली के स्पीकर का कहना है कि भारत अपनी परिपक्व कूटनीति के बल पर रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे संघर्षो का स्थायी समाधान खोजने में अग्रणी भूमिका निभाने की अच्छी स्थिति में है। भारत आए जिम्बाब्वे की संसद के स्पीकर जैकब फ्रांसिस ज्विडामिलिमो मुडेंडा ने उपराष्ट्रपति से आग्रह किया कि जी20 की अध्यक्षता के दौरान, भारत को जलवायु परिवर्तन की वैश्विक चिंताओं को दूर करने के लिए विकसित देशों की राजनीतिक इच्छाशक्ति को मजबूत करने में मदद करनी चाहिए। स्थायी शांति और सुरक्षा की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने महात्मा गांधी के आदर्श नेतृत्व और अहिंसा संबंधी उनके दर्शन द्वारा पोषित दोनों देशों के बीच के ऐतिहासिक संबंधों को रेखांकित किया।

जिम्बाब्वे की संसद के स्पीकर जैकब फ्रांसिस ज्विडामिलिमो मुडेंडा के नेतृत्व में जिम्बाब्वे के संसदीय प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को संसद भवन में भारत के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ से भेंट की। इस अवसर पर धनखड़ ने कहा कि उन्होंने एक सुदृढ़ भ्रातृत्व की भावना साझा की है, क्योंकि उन्हीं की भांति आगंतुक प्रतिनिधिमंडल के नेता पेशे से एक वकील हैं और एक प्रांत के पूर्व राज्यपाल भी हैं।

उपराष्ट्रपति ने आशा व्यक्त की कि जिम्बाब्वे के संसदीय प्रतिनिधिमंडल की यात्रा से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने में मदद मिलेगी। उपराष्ट्रपति ने अतिथि प्रतिनिधिमंडल के साथ यह विचार साझा किया कि भारत ने कोविड-19 महामारी और जलवायु परिवर्तन जैसी महžवपूर्ण वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने में अग्रणी भूमिका निभाई है।

उपराष्ट्रपति ने भारत आए प्रतिनिधिमंडल को सूचित किया कि भारत को जी-20 की अध्यक्षता एक ऐसे उपयुक्त समय में प्राप्त हुई है, जब भारत वैश्विक चिंताओं को दूर करने की दिशा में प्रभावी नेतृत्व प्रदान कर सकता है और देश की महान संस्कृति और सभ्यतागत मूल्यों को दुनिया के सामने प्रदर्शित कर सकता है।

दोनों नेताओं ने माना कि विकास को समावेशी होना चाहिए, जिसमें समाज के हाशिए पर रहने वाले लोगों का समावेशन हो। भौतिक और डिजिटल कनेक्टिविटी में सुधार के माध्यम से ग्रामीण इलाकों में रहने वालों की पहुंच में सुधार के लिए सभी प्रयास किए जाने की आवश्यकता है। जिम्बाब्वे नेशनल असेंबली के स्पीकर ने ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल पैठ बढ़ाने के लिए भारत द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की।

भारत के उपराष्ट्रपति और जिम्बाब्वे नेशनल असेंबली के स्पीकर दोनों ने कोविड महामारी की लहर के दौरान कुछ देशों द्वारा वैक्सीन राष्ट्रवाद की प्रथा का अनुसरण किए जाने की निंदा की और एक महान मानवीय पहल के रूप में भारत की वैक्सीन कूटनीति की सराहना की। महामारी के दौरान फार्मास्युटिकल क्षेत्र द्वारा किये गए योगदान और वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने में भारतीय जेनेरिक दवाओं की प्रभावकारिता की प्रशंसा करते हुए, माननीय उपराष्ट्रपति ने कहा कि ‘भारत दुनिया की फार्मेसी है’।

दोनों नेताओं ने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि हमारी दोनों संसदें अपने-अपने लोगों के कल्याण के लिए कार्य कर रही हैं और उनके जीवन और आजीविका को बेहतर बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

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