July 12, 2025
National

भारतीय ‘शास्त्रीय गायन की रानी’ परवीना सुल्ता न: जिनकी आवाज ने बिखेरा जादू, 25 की उम्र में मिला ‘पद्मश्री पुरस्कार’

Indian ‘Queen of Classical Singing’ Parveena Sultana: Whose voice spread magic, got ‘Padma Shri Award’ at the age of 25

जब भारतीय शास्त्रीय संगीत की बात आती है, तो पंडित भीमसेन जोशी, पंडित जसराज, उस्ताद राशिद खान और पंडित रविशंकर जैसे दिग्गजों के साथ परवीन सुल्ताना का नाम भी उसी गर्व के साथ लिया जाता है। पटियाला घराने की इस महान गायिका ने अपनी मधुर, शक्तिशाली और भावपूर्ण आवाज से भारतीय शास्त्रीय संगीत को न केवल भारत में बल्कि विश्व मंच पर भी एक नई पहचान दी। उनकी गायकी में ख्याल, ठुमरी, भजन और गजल जैसे विविध रूपों का समावेश है, जो उनकी बहुमुखी प्रतिभा को दर्शाता है।

10 जुलाई 1950 को असम के नगांव में जन्मी परवीन सुल्ताना को ख्याल, ठुमरी, भजन और तराना गायकी के लिए जाना जाता है। उनकी प्रस्तुतियां रागों की गहराई, तकनीकी कुशलता और आत्मिक भक्ति का अनूठा संगम पेश करती हैं, जिसने उन्हें ‘शास्त्रीय गायन की रानी’ का खिताब दिलाया। चाहे मंच पर उनकी तीव्र तानें हों या फिल्मों में उनके चुनिंदा गीत, परवीन सुल्ताना का योगदान भारतीय संगीत की अमूल्य धरोहर है।

परवीन सुल्ताना का जन्म 10 जुलाई 1950 को असम के नगांव में हुआ था। उनके परिवार में शास्त्रीय संगीत की समृद्ध परंपरा थी। उनके पिता इकरामुल माजिद, उस्ताद बड़े गुलाम अली खान के शिष्य थे, और उनके दादा रबाब वादक थे। बताया जाता है कि परवीन ने महज 5 साल की उम्र से ही गायन शुरू कर दिया था। परवीन सुल्ताना ने अपनी प्रारंभिक संगीत शिक्षा अपने पिता से प्राप्त की। बाद में, उन्होंने आचार्य चिन्मय लाहिरी और उस्ताद दिलशाद खान से गायकी की बारीकियां सीखीं। उस्ताद दिलशाद खान (जिनसे उन्होंने 1975 में विवाह किया) ने उनकी गायकी को और निखारा। उनके मार्गदर्शन में परवीन ने पटियाला घराने की गायकी में महारत हासिल की, खासकर ख्याल और तराना गायन में।

परवीन ने 12 वर्ष की उम्र में 1962 में अपना पहला स्टेज परफॉर्मेंस दिया और 1965 से संगीत रिकॉर्ड करना शुरू किया। पटियाला घराने की गायिका के रूप में उन्होंने ख्याल, ठुमरी, दादरा, चैती, कजरी और भजन जैसे विविध रूपों में महारत हासिल की और गायकी से लोगों के दिलों पर राज किया। इसके अलावा, परवीन ने चुनिंदा फिल्मों में भी अपनी आवाज दी, जिनमें फिल्म ‘पाकीजा’ का ‘कौन गली गयो श्याम’ और फिल्म ‘कुदरत’ का गाना ‘हमें तुमसे प्यार कितना, ये हम नहीं जानते’ शामिल हैं। उनके गाने ‘हमें तुमसे प्यार कितना’ ने उन्हें फिल्मफेयर पुरस्कार के लिए नामांकन दिलाया। परवीन सुल्ताना ने नौशाद और मदन मोहन के अलावा लक्ष्मीकांत प्यारेलाल, शंकर जयकिशन और आरडी बर्मन के लिए भी गाया।

1976 में महज 25 साल की उम्र में वह पद्मश्री पुरस्कार सम्मान प्राप्त करने वाली सबसे कम उम्र की महिला बनीं। 2014 में उन्हें पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया। इसके अलावा, उन्हें 1980 में गंधर्व कला निधि, 1986 में मियां तानसेन पुरस्कार और 1999 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से भी नवाजा गया।

परवीन ने अपने पति उस्ताद दिलशाद खान के साथ अमेरिका, फ्रांस, रूस, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया और दुबई जैसे देशों में भी परफॉर्म किया। परवीन सुल्ताना भारतीय शास्त्रीय संगीत की एक ऐसी हस्ती हैं, जिन्होंने अपनी अनूठी आवाज और समर्पण से विश्व स्तर पर भारत का नाम रोशन किया है।

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