November 28, 2024
National

सरकार में बैठे लोगों की मेहरबानी से इकबाल सिंह चहल की एसीएस होम पद की लगी लॉटरी: आनंद दुबे

मुंबई, 23 अगस्त । कोविड महामारी के दौरान अपने प्रयासों के लिए मशहूर हुए आईएएस अधिकारी इकबाल सिंह चहल को गुरुवार को महाराष्ट्र सरकार ने अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) नियुक्त किया है। इस कदम को महाराष्ट्र की नौकरशाही के भीतर एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम के रूप में देखा जा रहा है।

विपक्ष का कहना है कि शिंदे सरकार द्वारा चहल को राज्य की कानून-व्यवस्था संभालने की जिम्मेदारी सौंपना अनुचित है, क्योंकि चहल पर कई जांच चल रही हैं। शिवसेना (उद्धव गुट) के प्रवक्ता आनंद दुबे ने कहा, “जब सैयां भये कोतवाल तो डर का का। अगर सरकार में बैठे लोग आपके शुभचिंतक हो जाएं और आप अधिकारी हैं तो आपकी तो मौज ही मौज है। आज का ही उदाहरण देख लीजिए पूर्व बीएमसी कमिश्नर चहल को एसीएस होम नियुक्त किया गया है।”

उन्होंने आगे कहा कि यह वही चहल हैं, जिनके बारे में यही सरकार कह रही थी कि वह कोविड घोटाले, फर्नीचर स्कैम में दोषी हैं। उनके खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का कैसे चल रहा है। आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) जांच कर रही है। जब अचानक सरकार में बैठे लोग मेहरबान हो जाएं, तब एसीएस होम की लॉटरी लग जाती है। ऐसे में अब इसकी जांच कौन करेगा केंद्र में और राज्य में भाजपा की सरकार है। क्या इसकी जांच नए सिरे से नहीं होनी चाहिए।

दुबे ने कहा, “जिन अधिकारियों पर आप आरोप लगाते हैं, क्या उन्हें ऐसे ही दोष मुक्त करके छोड़ दिया जाएगा? तो आप आरोप क्यों लगाते हैं। ऐसे ही अजित पवार पर 70,000 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप लगाया था और फिर उनके साथ सरकार में आ गए। ऐसा क्यों करते हैं। पूरी जांच क्यों नहीं करते। वॉशिंग पाउडर लेकर क्यों घूमते हैं। अधिकारी हो या नेता सबकी जांच होनी चाहिए। यही हमारी मांग है। जनता जनार्दन सब देख रही है। आने वाले चुनाव में वह इसका जवाब देगी।”

दरअसल चहल पर लगे भ्रष्टाचार के विभिन्न आरोपों में सबसे अहम आरोप कोविड काल में बीएमसी द्वारा करोड़ों रुपये खर्च करने से जुड़ा है। इनमें कोविड बॉडी बैग घोटाला, खिचड़ी घोटाला, ऑक्सीजन प्लांट घोटाला और जंबो अस्पताल घोटाला शामिल हैं।

शिवसेना नेता और पूर्व मंत्री आदित्य ठाकरे ने चहल पर मुंबई में स्ट्रीट फर्नीचर लगाने के लिए 263 करोड़ रुपये का टेंडर जारी करने में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था। विधानसभा सत्र के दौरान यह मुद्दा उठाया गया और बाद में मामला बढ़ने पर टेंडर रद्द कर दिया गया।

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