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कुल्लू: वार्डों में बेड की कमी, गलियारों में हो रहा मरीजों का इलाज

Kullu: Lack of beds in wards, patients being treated in corridors

कुल्लू, 29 जून क्षेत्रीय अस्पताल कुल्लू के गलियारों में मरीजों का इलाज किया जा रहा है क्योंकि अधिकांश वार्डों में भीड़भाड़ के कारण बिस्तर खाली हो गए हैं। पंजीकरण काउंटरों और ओपीडी में मरीजों की लंबी कतारें देखी जा सकती हैं।

मेडिसिन और ऑर्थोपैडिक विभाग सबसे ज्यादा प्रभावित हैं, जहां हर दिन करीब 250 मरीज आते हैं। डॉक्टर वायरल, जोड़ों और पीठ दर्द से पीड़ित मरीजों की बढ़ती संख्या के लिए मौसम में आए बदलाव को जिम्मेदार मान रहे हैं। मेडिसिन वार्ड में 80 बेड हैं और सभी पर मरीज़ हैं, जिसकी वजह से डॉक्टरों को कॉरिडोर में दूसरे मरीजों का इलाज करना पड़ रहा है।

अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. नरेश चंद ने बताया कि मेडिसिन और ऑर्थोपैडिक वार्ड में विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीमें लगातार काम कर रही हैं। उन्होंने बताया कि मरीजों की संख्या बढ़ने के बावजूद हर मरीज को इलाज मिल रहा है।

कुल्लू जिले के अलावा मंडी और लाहौल के कुछ हिस्सों के लोग भी उपचार के लिए अस्पताल आते हैं। जानकारी के अनुसार, वर्ष 2015 में अस्पताल को अपग्रेड किया गया था, तब बेड की संख्या 200 से बढ़ाकर 300 की गई थी। इसी प्रकार, चिकित्सा कर्मचारियों की संख्या 27 से बढ़ाकर 37 की गई थी। हालांकि, मरीजों की बढ़ती संख्या के कारण वर्तमान स्टाफ पर अत्यधिक बोझ है।

कुल्लू निवासी राजीव ने बताया कि अस्पताल में 100 बिस्तरों वाले मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य विभाग का उद्घाटन जून 2022 में होना है, लेकिन इसके लिए अतिरिक्त स्टाफ की नियुक्ति नहीं की गई है। उन्होंने बताया कि यह विभाग पूरी तरह से मरीजों से भरा हुआ है।

राजीव ने कहा कि मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए अतिरिक्त व्यवस्था करने तथा अस्पताल में बिस्तरों की संख्या बढ़ाने की जरूरत है। सामाजिक कार्यकर्ता अभिषेक राय ने कहा, “कुल्लू जिला स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में बेहद पिछड़ा हुआ है और इस क्षेत्र में मेडिकल कॉलेज की तत्काल आवश्यकता है।”

उन्होंने कहा, “लाखों पर्यटक कुल्लू-मनाली आते हैं, लेकिन निकटतम मेडिकल कॉलेज नेरचौक में है, जो मनाली से लगभग 125 किलोमीटर दूर है और वहां पहुंचने में तीन घंटे से अधिक समय लगता है।”

अभिषेक ने कहा कि क्षेत्रीय अस्पताल पर करीब 7 लाख लोग निर्भर हैं। उन्होंने कहा कि जिले के सरकारी अस्पतालों में एमआरआई की सुविधा नहीं है और अल्ट्रासाउंड करवाना भी बहुत मुश्किल काम है। उन्होंने कहा कि कुल्लू के अधिकांश स्वास्थ्य संस्थानों में अल्ट्रासाउंड मशीनें रेडियोलॉजिस्ट के अभाव में खराब पड़ी हैं।

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