पंजाब सरकार और भाषा निदेशालय पंजाब के मार्गदर्शन में जिला भाषा कार्यालय फिरोजपुर द्वारा डीडीबी डीएवी सेंटेनरी पब्लिक स्कूल में साहित्यिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम इंजीनियर गुरदयाल सिंह विर्क द्वारा हाल ही में प्रकाशित कहानी संग्रह अंतरवि वेदना पर केंद्रित था और जिला भाषा अधिकारी डॉ. जगदीप संधू और प्रिंसिपल निशा देवड़ा के नेतृत्व में आयोजित किया गया था।
कार्यक्रम की शुरुआत औपचारिक दीप प्रज्ज्वलन और “धन लिखारी नानका” के संगीतमय प्रस्तुतीकरण से हुई। डॉ. जगदीप संधू ने उपस्थित लोगों का स्वागत किया, विर्क के संग्रह का परिचय दिया और स्कूल के सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया।
मुख्य अतिथि, प्रख्यात कवि और अनुवादक प्रो. जसपाल घई ने विर्क को बधाई दी और पुस्तक को पंजाबी साहित्य में एक महत्वपूर्ण योगदान बताया। उन्होंने कहानियों को परिभाषित करने की व्यक्तिपरक प्रकृति पर जोर दिया और विर्क की कहानियों की प्रामाणिकता और जीवन के अनुभवों से जुड़ाव की प्रशंसा की।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रसिद्ध कहानीकार गुरमीत घरियालवी ने कहानी कहने की बारीकियों पर विचार किया और इस बात पर प्रकाश डाला कि महान साहित्य केवल कल्पना से नहीं बल्कि जीवित अनुभवों से उपजता है। उन्होंने विर्क के संवादात्मक भावों और ग्रामीण विषयों के उपयोग की सराहना की, जो उनकी कहानियों की प्रामाणिकता को समृद्ध करते हैं।
अपने शोध पत्र प्रस्तुत करते हुए डॉ. रामेश्वर सिंह कटारा ने बताया कि किस तरह विर्क ने अपने जीवन के अनुभवों को अपने पात्रों के माध्यम से कुशलता से चित्रित किया है, तथा वास्तविक जीवन के परिदृश्यों के साथ समानताएं चित्रित की हैं। एल.पी.यू. के विद्वान सुरिंदर कंबोज ने वैश्वीकरण के संदर्भ में कहानियों का विश्लेषण किया, तथा उनकी विषयगत गहराई और ग्रामीण जीवन के प्रतिनिधित्व की सराहना की।
कवि डॉ. हरीश ग्रोवर ने विर्क की कहानियों में मानवतावादी सरोकारों और सामूहिक कल्याण की खोज को उजागर करते हुए उन्हें पंजाबी साहित्य में एक आशाजनक आवाज़ बताया। लेखक बलविंदर पनेसर ने विर्क के व्यक्तित्व के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला, जबकि वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप भुल्लर ने उनकी साहित्यिक प्रतिभा और समर्पण की प्रशंसा की।
गुरदयाल सिंह विर्क ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए आभार व्यक्त किया और अपनी रचनात्मक प्रक्रिया के बारे में जानकारी साझा की। कार्यक्रम में कवि-विचारक सुखजिंदर द्वारा आकर्षक मंच प्रबंधन किया गया, जिससे कार्यक्रम का सहज प्रवाह सुनिश्चित हुआ।
इस अवसर पर लाल सिंह सुलहानी, सेवानिवृत्त न्यायाधीश बलदेव सिंह भुल्लर, डॉ. जीएस ढिल्लों, मंगत बाजिदपुरी और अन्य साहित्यकार तथा शिक्षक उपस्थित थे। प्रधानाचार्य निशा देवड़ा ने अतिथियों का धन्यवाद किया और सार्थक साहित्यिक पहलों की मेजबानी के लिए स्कूल की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
यह कार्यक्रम अनुसंधान अधिकारी दलजीत सिंह, सीएसए रमन कुमार और स्कूल स्टाफ के महत्वपूर्ण योगदान से सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।
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