22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले में शहीद हुए युवा नौसेना अधिकारी लेफ्टिनेंट विनय नरवाल के पिता राजेश नरवाल ने पाकिस्तान स्थित द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) को विदेशी आतंकवादी संगठन (एफटीओ) और विशेष रूप से नामित वैश्विक आतंकवादी (एसडीजीटी) के रूप में नामित करने के अमेरिका के फैसले का स्वागत किया।
टीआरएफ ने पहलगाम में हुए घातक आतंकवादी हमले की जिम्मेदारी ली थी, जिसमें 26 लोगों की जान चली गई थी, जिसमें करनाल निवासी भारतीय नौसेना के लेफ्टिनेंट नरवाल भी शामिल थे।
अमेरिकी फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए, राजेश नरवाल ने इस कदम का समर्थन करते हुए कहा कि यह बहुत देर से उठाया गया कदम था। उन्होंने कहा, “टीआरएफ कोई नया समूह नहीं है। अनुच्छेद 370 के हटने के बाद यह लश्कर-ए-तैयबा के एक मोर्चे के रूप में उभरा। इसका उद्देश्य जनता को गुमराह करना और गैर-कश्मीरी समुदायों, सुरक्षा बलों और निर्दोष नागरिकों को निशाना बनाना था।”
नरवाल ने ज़ोर देकर कहा कि भारत पहले ही टीआरएफ को एक आतंकवादी समूह घोषित कर चुका है। उन्होंने आगे कहा, “उन्होंने सुरक्षा गश्ती दल, अर्धसैनिक बलों और नागरिकों पर कई हमले किए हैं। अमेरिका ने यह कदम अब उठाया है जब टीआरएफ ने पहलगाम में हुए नरसंहार की ज़िम्मेदारी ली है, जिसमें मेरे बेटे और 25 अन्य लोगों की हत्या भी शामिल है।”
टीआरएफ को लश्कर-ए-तैयबा का “मुखौटा” बताते हुए उन्होंने कहा कि इस समूह को एक नए नाम से सक्रिय रहने के लिए डिज़ाइन किया गया है। उन्होंने कहा, “उन्होंने कई जघन्य अपराध किए हैं और हमारे बहादुर सैनिकों और नागरिकों की जान ली है। अमेरिकी प्रतिबंध पूरी तरह से उचित है।”
राजेश नरवाल ने इस अंतरराष्ट्रीय मान्यता का श्रेय भारत सरकार के कूटनीतिक प्रयासों को दिया। उन्होंने कहा, “पहलगाम हमले के बाद, प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री ने वैश्विक मंचों पर इस मुद्दे को ज़ोरदार तरीके से उठाया। उनके निरंतर सहयोग के कारण ही अब अमेरिका ने टीआरएफ को आधिकारिक रूप से काली सूची में डाल दिया है।”
उन्होंने अन्य देशों से भी ऐसा ही करने का आग्रह किया। “अमेरिका की तरह, सभी देशों को टीआरएफ और उसके जैसे अन्य संगठनों को आतंकवादी संगठन घोषित करना चाहिए। सिर्फ़ भारत में ही नहीं, दुनिया में कहीं भी आतंकवादी गतिविधियों में शामिल किसी भी समूह को वैश्विक प्रतिबंधों का सामना करना होगा।”
नरवाल ने ज़ोर देकर कहा कि सिर्फ़ सूची में डालना ही काफ़ी नहीं है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा, “सूची में शामिल होना तो बस शुरुआत है। ठोस कार्रवाई होनी चाहिए। इसमें शामिल लोगों को सिर्फ़ सज़ा ही नहीं, बल्कि उनका सफ़ाया भी होना चाहिए। तभी आतंकवाद का सफ़ाया होगा और लोग सुरक्षित रहेंगे।”