N1Live National चुनावी सभाओं में भी लाउड स्पीकर की आवाज कम होनी चाहिए : मोहम्मद सलीम
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चुनावी सभाओं में भी लाउड स्पीकर की आवाज कम होनी चाहिए : मोहम्मद सलीम

Loud speaker volume should be reduced even in election meetings: Mohammad Salim

कोलकाता, 11 नवंबर । महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना प्रमुख राज ठाकरे ने हाल ही में अपने एक बयान में कहा था कि राज्य में मस्जिदों से सभी लाउडस्पीकर हटा दिए जाने चाहिए। साथ ही मंदिरों में भी 365 दिन बज रहे स्पीकरों को हटा देना चाहिए। माकपा नेता मोहम्मद सलीम ने इसे उनका चुनावी भाषण बताया है।

मोहम्मद सलीम ने रविवार को आईएनएस से बात करते हुए कहा, “चुनावों में अक्सर कई मुद्दे उठते हैं, जिनमें से कुछ असली होते हैं और कुछ नकली। कुछ लोग लाउडस्पीकर लगाकर आवाज को और भी बढ़ा देते हैं, लेकिन देश की असली समस्याओं से ध्यान भटकाते हैं। महाराष्ट्र हो या कोई अन्य राज्य, सबसे बड़ी समस्या क्या है? महाराष्ट्र में किसानों का आंदोलन चल रहा है, जैसे विदर्भ में सोयाबीन के दाम नहीं मिल रहे हैं। फल उगाने वाले किसानों की भी समस्याएं हैं, वहीं मजदूरों की अपनी परेशानियां हैं। मुंबई के नागरिकों की भी कई समस्याएं हैं, और इन सबकी जड़ में हमारी अर्थव्यवस्था की कमजोरी है, क्योंकि मुंबई ही देश की आर्थिक धुरी है। ऐसे में, चुनाव के दौरान हमें कौन से मुद्दे उठाने चाहिए? देश में विज्ञान, ज्ञान और प्रौद्योगिकी तेजी से आगे बढ़ रही है, लेकिन कुछ लोग ऐसे हैं जो विवादित बयान देकर लोगों को आपस में भिड़ाने का काम करते हैं। मैं लाउडस्पीकर के पक्ष में नहीं हूं, और चुनावी सभाओं में यदि लाउडस्पीकर की आवाज कम हो जाए तो यह बेहतर है।”

उन्होंने आगे कहा, “शोर-शराबा, यानी नॉइज़ पॉल्यूशन, तो एक समस्या है ही, लेकिन उससे भी बड़ा खतरा एयर पॉल्यूशन है। आप मुंबई या महाराष्ट्र के किसी भी हिस्से में जाएं, तो पाएंगे कि हर शहर में सबसे बड़ी समस्या एयर पॉल्यूशन की है। जैसे बंगाल में डेंगू की समस्या बढ़ रही है, वैसे ही देश के कई हिस्सों में बीमारियां लोगों की परेशानियों का कारण बन रही हैं। हमारे देश में पर्यावरण की स्थिति लगातार बिगड़ रही है, और यह सिर्फ शोर के मामले तक सीमित नहीं है। जैसे हम रोज गाड़ियों के हॉर्न की आवाज सुनते हैं, यह भी एक बड़ा कारण है। असल में, यह सब शोर-शराबा और प्रदूषण हमारे जीवन को प्रभावित कर रहा है।”

उन्होंने कहा, “धर्म की बात करें, तो हमें समझना चाहिए कि धर्म का मतलब उपासना है, और यह एक व्यक्तिगत मामला है। अगर हम धर्म को सड़क पर खींच लाएंगे, और एक धर्म को दूसरे धर्म से मुकाबला करने की चुनौती देंगे, तो हमारी समस्याएं और बढ़ेंगी। धर्म को लेकर शोर मचाने की बजाय हमें शांति और समझ के साथ जीने की जरूरत है। हम सभी एक ही रास्ते पर चल रहे हैं, चाहे हम किसी भी धर्म के हों, इसलिए शोर मचाने की कोई जरूरत नहीं है।”

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