March 31, 2025
Uttar Pradesh

काशी का महिषासुर मर्दिनी मंदिर : दिन में तीन बार बदलता है ‘स्वप्नेश्वरी’ का रूप

Mahishasura Mardini Temple of Kashi: The form of ‘Swapneshwari’ changes three times a day

वाराणसी, 24 मार्च । ‘जय जय हे महिषासुरमर्दिनि रम्यकपर्दिनि शैलसुते…।’ मां दुर्गा की आराधना का पर्व चैत्र नवरात्रि शुरू होने वाला है। देश के साथ ही दुनिया भर में माता के कई प्राचीन मंदिर हैं। इन्हीं में से एक है भगवान शिव की नगरी काशी के भद्र वन (भदैनी) में स्थित मां महिषासुर मर्दिनी का मंदिर। महिषासुर का नाश कर भक्तों की रक्षा करने वाली माता की पूजा यहां ‘स्वप्नेश्वरी’ के नाम से की जाती है।

भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करने वाली माता ‘स्वप्नेश्वरी’ का मंदिर उत्तर प्रदेश के वाराणसी के भद्र वन (वर्तमान में भदैनी) में स्थित है।

मंदिर के पुजारी धनंजय पाण्डेय ने मंदिर के महत्व, मां के रूप और महिमा का वर्णन करते हुए बताया, “मान्यता है कि भगवती ने महिषासुर का वध या मर्दन करने के लिए जब अपना खड्ग फेंका था, तो वह घाट के पास गिरा था, जिसे आज अस्सी घाट के नाम से जाना जाता है।”

उन्होंने बताया, “मंदिर भद्र वन में स्थित है, जिसे भदैनी के नाम से भी जाना जाता है। माता की मूर्ति स्वयंभू है। दुर्गा सप्तशती के चतुर्थ अध्याय में महिषासुर के मर्दन का उल्लेख है।”

पुजारी ने बताया कि माता के मंदिर में साल भर भक्त दर्शन करने और अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए आते हैं।

उन्होंने माता की पसंद और उनके चढ़ावे के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा, “मान्यता के अनुसार, भगवती के मंदिर पर 41 दिन तक जो भी भक्त आरती में शामिल होता है, उसकी मनोकामना जरूर पूरी होती है। माता को मालपुआ और दही-बर्फी के भोग लगाने के साथ नारियल चढ़ाया जाता है और श्रृंगार के सामान के साथ लाल गुड़हल की माला भी चढ़ाई जाती है।”

माता की महिमा का बखान करते हुए उन्होंने बताया कि उनका रूप दिन में तीन बार बदलता है। सुबह के समय वह सौम्य या बाल रूप में रहती हैं। दोपहर तक यौवन रूप में और शाम के बाद रौद्र रूप में आ जाती हैं। मंदिर परिसर में भैरव बाबा और भोलेनाथ के साथ हनुमान जी और गणेश भगवान के भी मंदिर हैं।

स्थानीय श्रद्धालु प्रभुनाथ त्रिपाठी ने बताया कि महिषासुर का वध करने वाली माता का एक और नाम ‘स्वप्नेश्वरी’ देवी भी है। इसके पीछे की मान्यता पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा, “महिषासुर मर्दिनी का दर्शन करने का सौभाग्य भक्तों को मिलता आया है। माता बहुत कृपालु हैं। शक्ति के इस रूप का एक और नाम ‘स्वप्नेश्वरी’ भी है। मान्यता है कि जो भी भक्त दिन-रात मंदिर में रहकर माता की आराधना करता है और रात्रि में वहीं पर शयन करता है, माता उसके स्वप्न में आती हैं और मांगी गई मनोकामना के बारे में बताती हैं।”

मां महिषासुर मर्दिनी मंदिर सेवा समिति के उपाध्यक्ष राकेश त्रिपाठी ने बताया, “माता के दर्शन के लिए पूरे साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां आते हैं। हालांकि, नवरात्रि में विशेष भीड़ होती है। महिलाएं कीर्तन-भजन करती हैं और मंदिर के प्रांगण में दुर्गा सप्तशती का पाठ भी चलता है। नौ दिन माता को नौ तरह का प्रसाद चढ़ाया जाता है। नवमी के दिन भंडारा भी होता है और श्रद्धालुओं को प्रसाद बांटा जाता है।”

इस मंदिर तक पहुंचने के लिए वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन से भदैनी तक ऑटो, रिक्शा या अन्य वाहन से आसानी से मिल जाते हैं। मंदिर लोलार्क कुंड क्षेत्र में स्थित है।

Leave feedback about this

  • Service