मनाली नगर परिषद (एमसी) के अध्यक्ष का चुनाव तकनीकी पेचीदगियों में उलझ गया है और इसे अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया है। 9 सितंबर को चार पार्षदों द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के 25 सितंबर को पारित होने के बाद नगर निकाय प्रमुख पद के लिए चुनाव 24 अक्टूबर को होना तय था। लेकिन, सात में से पांच पार्षदों के कोरम पूरा करने के लिए मौजूद न होने के कारण चुनाव आज के लिए पुनर्निर्धारित किया गया, जिसमें कोरम की आवश्यकता नहीं थी और अध्यक्ष को साधारण बहुमत से नियुक्त किया जाना था।
बहरहाल, आज अध्यक्ष पद के लिए मनोज लारजे, ललिता और नवीन तंवर ने नामांकन पत्र दाखिल किया। वहीं, दूसरी ओर, हटाए गए अध्यक्ष चमन कपूर और नवीन ने चुनाव अधिकारी को मनोज के खिलाफ शिकायत पत्र देकर आरोप लगाया कि वर्तमान में उपाध्यक्ष पद का कार्यभार संभालते हुए मनोज अध्यक्ष पद का चुनाव नहीं लड़ सकते।
उल्लेखनीय है कि मनोज ने इससे पहले कुल्लू के उपायुक्त को अपना इस्तीफा सौंपा था और यहां तक कि उनके व तीन अन्य पार्षदों के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी लाया गया था, लेकिन न तो इस्तीफा स्वीकार किया गया और न ही अविश्वास प्रस्ताव पर कोई निर्णय लिया गया।
इस शिकायत को आधार मानते हुए निर्वाचन अधिकारी एवं मनाली के एसडीएम रमन कुमार शर्मा ने मतदान रद्द कर दिया तथा मामले को आगामी कार्रवाई के लिए शिमला स्थित शहरी विकास निदेशालय को भेज दिया।
जानकारी के अनुसार सात पार्षदों में से चार एक तरफ और तीन दूसरी तरफ हैं। कयास लगाए जा रहे हैं कि मनोज लारजे का अध्यक्ष बनना तय था, लेकिन प्रक्रिया स्पष्ट न होने के कारण अध्यक्ष पद के लिए चुनाव नहीं हो पाया।
मनाली विधायक भुवनेश्वर गौड़ भी जब चुनाव कार्यालय पहुंचे तो माहौल गरमा गया। स्थानीय विधायक को कुछ मामलों में वोट देने का अधिकार होता है। हालांकि विधायक कुछ देर बाद ही कार्यालय से चले गए।
मनोज ने आरोप लगाया कि राजनीतिक दबाव के कारण चुनाव रद्द किया गया। मनोज ने कहा कि उन्होंने डीसी को अपना इस्तीफा सौंप दिया है और इस पर कार्रवाई करना प्रशासन का काम है। मनाली नगर परिषद में, जनवरी 2021 में सात में से पांच सीटें भाजपा समर्थित उम्मीदवारों ने जीती थीं। उनमें से तीन ने कांग्रेस की सुनीता के साथ मिलकर पिछले महीने नगर निकाय अध्यक्ष को बाहर कर दिया था।
चमन कपूर ने कहा कि भाजपा में अंदरूनी गुटबाजी के कारण उन्हें अध्यक्ष पद से हटाया गया है। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में मनाली में भगवा पार्टी के लिए यह घातक साबित हो सकता है। उन्होंने कहा कि अगर समय रहते हाईकमान ने हस्तक्षेप किया होता तो यह स्थिति पैदा नहीं होती। उन्होंने कहा कि सत्ता के लालच और कुछ बाहरी तत्वों के उकसावे के कारण मनाली में विकास कार्य रुके हुए हैं।