July 23, 2025
National

मुंबई ट्रेन धमाका : लालजी रमाकांत पांडेय ने हाईकोर्ट के फैसले पर जताया आक्रोश, सुप्रीम कोर्ट में अपील की मांग

Mumbai train blast: Lalji Ramakant Pandey expressed anger over the High Court’s decision, demanded appeal in the Supreme Court

2006 के मुंबई ट्रेन धमाकों के पीड़ित लालजी रमाकांत पांडेय ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले पर गहरा दुख और आक्रोश व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि निचली अदालत का फैसला “न्यायसंगत” था और हाईकोर्ट के इस निर्णय ने उन्हें और अन्य पीड़ितों को गहरी निराशा दी है। उन्होंने इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले जाने और दोषियों को फांसी की सजा देने की मांग की है।

लालजी रमाकांत पांडेय उस ट्रेन में सवार थे, जब सात ट्रेनों के प्रथम श्रेणी डिब्बों में एक के बाद एक सात बम विस्फोट हुए। इस हमले ने मुंबई की पश्चिमी रेलवे लाइन को हिलाकर रख दिया था। उस दौरान पांडेय को गंभीर चोटें आईं, जिसके कारण उन्हें दो महीने तक सायन अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा। इसके बाद सात साल तक उनका इलाज चला। इस हादसे ने उनकी जिंदगी को हमेशा के लिए बदल दिया।

उन्होंने बताया, “आज भी मुझे सुनाई नहीं देता। मेरी स्मृति हानि हो गई है। मैंने और मेरे जैसे कई लोगों ने उस भयानक पीड़ा को सात साल तक झेला है।”

पांडेय ने उस भयावह दिन को याद करते हुए कहा, “वह कोई मामूली घटना नहीं थी। पूरा स्टेशन खून से लथपथ था। लाशें बिछी हुई थीं। पैरों तक खून था। सात-आठ ट्रेनों में एक साथ धमाके हुए। यह बहुत भयंकर हादसा था। इस हमले में कहीं न कहीं मिलीभगत थी और हाईकोर्ट का फैसला हमारे लिए स्तब्ध करने वाला है।”

उन्होंने हाईकोर्ट के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा, “निचली अदालत ने जो सजा दी थी, वह साक्ष्यों के आधार पर थी। बिना साक्ष्य के सजा नहीं दी जाती। फिर हाईकोर्ट ने कैसे इसे रद्द कर दिया? यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। जज महोदय ने किस तरह से निर्णय दिया, कौन से साक्ष्य पर दिया और कौन सा साक्ष्य उनको नहीं मिला, कैसे उनको माफीनामा दे दिया गया, यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है और मैं तो चाहता हूं कि सुप्रीम कोर्ट में यह मामला जाए। सख्त सजा मिले और सही न्याय मिले।”

लालजी रमाकांत पांडेय ने अपनी पीड़ा को व्यक्त करते हुए कहा, “जो लोग मर गए, उनके परिवार उजड़ गए, उनके बच्चे अनाथ हो गए, उनका क्या होगा? मैं तन, मन, धन से इस लड़ाई को आगे बढ़ाऊंगा। यह फैसला न्यायपालिका के इतिहास में काला धब्बा है।”

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