March 31, 2025
Uttar Pradesh

ओमप्रकाश राजभर बोले, ‘गाजी मियां का नहीं, महापुरुषों का मेला लगना चाहिए’

Om Prakash Rajbhar said, ‘There should be a fair of great men, not of Ghazi Miyan’

लखनऊ, 24 मार्च । सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के प्रमुख और योगी सरकार के मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने सलार गाजी मेले को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि यह प्रशासन का निर्णय है कि मेला लगे या न लगे, लेकिन सवाल यह है कि मेला किसके नाम पर होना चाहिए?

उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि गाजी मियां कौन था, यह बहुत से लोगों को नहीं पता। वह भारत को गुलाम बनाने के इरादे से आया था और मठ-मंदिरों को तोड़ते हुए आगे बढ़ा था। जब वह बहराइच की ओर बढ़ा, तब कई राजा उसके खिलाफ लड़े और कुछ ने उसकी गुलामी स्वीकारी।

राजभर ने कहा कि जब महाराजा सुहेलदेव को इस बारे में पता चला, तब उन्होंने सभी हिंदू राजाओं को एकजुट किया और नानपारा के मैदान में 21 दिनों तक युद्ध लड़ा। अंततः कुटला नदी के किनारे सुहेलदेव महाराज ने सलार गाजी का वध कर दिया। ऐसे में मेला लगना चाहिए तो महाराजा सुहेलदेव का, उन महापुरुषों का जिन्होंने देश और समाज के लिए संघर्ष किया। लेकिन आज उल्टा हो रहा है। देश को लूटने वाले का मेला लगाने की बात हो रही है, जबकि देश को बचाने वाले की चर्चा तक नहीं हो रही।

उन्होंने दो टूक शब्दों में कहा कि इतिहास को गलत तरीके से पेश करना बंद करें। देश को बचाने वाले ही असली नायक हैं, आक्रमणकारियों की महिमा गाने से समाज का भला नहीं होगा। उन्होंने प्रशासन से मांग की कि ऐसे महापुरुषों का सम्मान हो, जिन्होंने समाज और देश के उत्थान के लिए काम किया।

ओमप्रकाश राजभर ने मांग की कि अगर मेला लगाना है तो छत्रपति शाहूजी महाराज, ज्योतिबा फुले, पंडित दीनदयाल उपाध्याय और डॉ. भीमराव अंबेडकर जैसे महापुरुषों के नाम पर लगाया जाए, जिन्होंने देश को दिशा दी।

उन्होंने कहा, “जिसने समाज के उत्थान के लिए काम किया, उस पर चर्चा होनी चाहिए लेकिन आज जो देश को लूटने आया था, उसी का मेला लगाने की बात हो रही है, यह गलत है।”

समाजवादी पार्टी के एक सांसद द्वारा सलार गाजी को सूफी संत बताए जाने पर ओमप्रकाश राजभर ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “उन्हें इतिहास पढ़ना चाहिए कि वह सूफी संत था या लुटेरा। इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश करना सही नहीं है।” उन्होंने सांसद को यह सलाह भी दी कि वे अपनी कौम की शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के बारे में सोचें, न कि बेवजह की चर्चा करें।

सपा पर तंज कसते हुए राजभर ने कहा, “अगर उनमें हिम्मत है, तो अपनी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से कहें कि साइकिल के पीछे बैठने से अच्छा होगा कि वे खुद साइकिल चलाएं, लेकिन ऐसा कहने की हिम्मत नहीं होगी, क्योंकि उनकी सांसदी चली जाएगी।”

ओमप्रकाश राजभर ने आरोप लगाया कि सपा, बसपा और कांग्रेस के शासन में प्रदेश में बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक दंगे हुए। उन्होंने कहा, ‘सपा सरकार में 800 दंगे हुए, जिनमें 1200 से ज्यादा लोगों की जान गई। बसपा सरकार में 600 दंगे हुए और करीब 900 लोगों की मौत हुई। कांग्रेस के शासन में तो अनगिनत दंगे हुए, कर्फ्यू लगा, दलित बस्तियां जलाई गईं, गरीबों को जिंदा जलाया गया। यही उन्हें पसंद है।’

राजभर ने दावा किया कि एनडीए सरकार के दौरान कोई बड़ा दंगा नहीं हुआ, न ही कर्फ्यू लगा। उन्होंने कहा, ‘आज पहली बार आजादी के बाद 51 मुस्लिम बच्चों ने आईएएस पास किया है। यह उन्हें पसंद नहीं है। वे चाहते हैं कि समाज बंटा रहे, लोगों के दिमाग में नफरत भरी जाए। इसी कारण वे अनर्गल बयानबाजी कर रहे हैं।’

अब्बास अंसारी की जमानत के मुद्दे पर ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि अदालत का फैसला सर्वोपरि है और इसका सभी को सम्मान करना चाहिए। कानून सबके लिए समान है और अदालत जो निर्णय लेगी, वह सभी को मान्य होगा।

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