महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (एमडीयू) में आयोजित ‘रंग-रास’ नाट्य महोत्सव ने प्रेम की परस्पर विरोधी भावनाओं और जीवन के विरोधाभासों के सम्मोहक चित्रण से दर्शकों का मन मोह लिया। विचारपूर्वक मंचित नाटकों की एक श्रृंखला के माध्यम से, महोत्सव ने पिता और पुत्र के बीच जटिल और अक्सर अनकहे बंधन को भी खूबसूरती से उजागर किया। महोत्सव की शुरुआत विश्व प्रसिद्ध कहानीकार एंटोन चेखव द्वारा लिखित और हरियाणा के प्रतिष्ठित रंगमंच व्यक्तित्व सोनू रोंझिया द्वारा निर्देशित नाटक ‘चेकमेट’ से हुई। इस मनोरंजक प्रदर्शन ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
दूसरा नाटक, ‘साइकिल ऑफ लाइफ’, जिसे प्रशंसित थिएटर निर्देशक गिन्नी बब्बर ने निर्देशित किया था, ने जीवन के विविध रंगों का मार्मिक चित्रण प्रस्तुत किया। इसमें पिता-पुत्र के रिश्ते की अनकही भावनाओं को कुशलता से दर्शाया गया, जिसमें पिता की भूमिका में ललित प्रकाश, बेटे की भूमिका में अविनाश सिंह तोमर और मां की भूमिका में सिम्पी कैथवास थे। पीढ़ियों के अंतर और पारिवारिक बंधनों को उजागर करने वाले उनके भावपूर्ण अभिनय ने दर्शकों को गहराई से प्रभावित किया।
इससे पहले, कुलपति प्रोफेसर राजबीर सिंह ने महोत्सव का उद्घाटन करते हुए मानवीय भावनाओं को व्यक्त करने और लोगों को एकजुट करने की रंगमंच की गहन क्षमता पर प्रकाश डाला। उन्होंने एमडीयू के विद्यार्थियों के लिए ग्रीष्मकालीन रंगमंच कार्यशालाओं की योजना की भी घोषणा की।
पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के प्रमुख और महोत्सव के संयोजक प्रोफेसर हरीश कुमार ने शांति और मानवता को बढ़ावा देने में रंगमंच की भूमिका पर जोर दिया, खासकर युद्धों से त्रस्त दुनिया में। उन्होंने कहा, “रंगमंच इन आदर्शों के सबसे मजबूत पैरोकारों में से एक है।”
मुख्य अतिथि, नई दिल्ली स्थित श्री राम कला एवं संस्कृति केंद्र के रिपर्टरी थियेटर के निदेशक समीप सिंह ने रंगमंच के शाश्वत महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि कृत्रिम बुद्धि (एआई) कभी भी मंच पर चित्रित मानवीय भावनाओं का स्थान नहीं ले सकती।
महोत्सव के दूसरे दिन, डीन (छात्र कल्याण) एवं रंग महोत्सव के संयोजक प्रोफेसर रणदीप राणा ने रंगमंच प्रेमियों का स्वागत किया तथा हरियाणा के जीवंत रंगमंच परिदृश्य के बारे में जानकारी प्रदान की।
रोहतक के कई प्रतिष्ठित रंगकर्मियों को प्रदर्शन कला में उनके योगदान के लिए सम्मानित किया गया। सम्मानित होने वालों में रघुवेंद्र मलिक, डॉ. आनंद शर्मा, मनीषा हंस, दुष्यंत कुमार (एसयूपीवीए), अरुण शर्मा, कृष्ण नाटक और अविनाश सैनी शामिल थे। हरियाणा और उसके बाहर रंगमंच को बढ़ावा देने के उनके प्रयासों की सराहना करते हुए उन्हें स्मृति चिन्ह और शॉल भेंट किए गए।
कार्यक्रम का संचालन पत्रकारिता विभाग की शोध छात्रा प्रिया ने किया, जबकि सहायक प्रोफेसर सुनीत मुखर्जी ने सभी प्रतिभागियों और आयोजकों के प्रति आभार व्यक्त किया, जिससे रंगमंच और कलात्मक अभिव्यक्ति का सफल उत्सव मनाया गया
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