नई दिल्ली, 30 अक्टूबर। राष्ट्रपति भवन के सांस्कृतिक केंद्र और अमृत उद्यान में बलुआ पत्थर से बने कोणार्क चक्र की चार प्रतिकृतियां स्थापित की गई हैं
कोणार्क चक्रों की स्थापना का उद्देश्य आगंतुकों के बीच देश की समृद्ध विरासत को प्रदर्शित करना और उसका प्रचार करना है। यह पहल राष्ट्रपति भवन में पारंपरिक सांस्कृतिक और ऐतिहासिक तत्वों को शामिल करने के लिए उठाए जा रहे कई कदमों का हिस्सा है। यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल कोणार्क सूर्य मंदिर ओडिशा के मंदिर वास्तुकला का एक बेहतरीन नमूना है।
कोणार्क के पहिये भारत की सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक हैं। इस पहिये को सूर्य के रथ के पहियों को दर्शाने के लिए डिजाइन किया गया था। इसका इस्तेमाल दिन और रात सहित समय को सटीक रूप से मापने के लिए सूर्य घड़ी के रूप में भी किया जाता था।
पहिये का डिजाइन जटिल गणितीय गणनाओं पर आधारित है। इसमें पृथ्वी के घूर्णन और सूर्य, चंद्रमा और तारों की गति को ध्यान में रखा गया है।
यह चक्र कोणार्क सूर्य मंदिर का हिस्सा है, जो भारत के पूर्वी तट पर स्थित है। यह मंदिर यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल है और भारत के सबसे प्रसिद्ध ब्राह्मण तीर्थ स्थलों में से एक है।
कोणार्क मंदिर के प्रतिष्ठित पहिये की प्रतिकृति ने नई दिल्ली के भारत मंडपम में जी-20 शिखर सम्मेलन की बैठक में विदेशी गणमान्यों की बैठकों की सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के रूप में काम किया।
नई दिल्ली में भारत मंडपम में जी-20 शिखर सम्मेलन की बैठक के दौरान कोणार्क चक्र को भारत की समृद्ध विरासत का प्रतिनिधित्व करते हुए दिखाया गया था।