हरियाणा के अतिरिक्त मुख्य सचिव (चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान) सुधीर राजपाल ने पीजीआईएमएस अधिकारियों को सलाह दी है कि वे अपनी टेली परामर्श सेवा को प्रतिदिन शाम 5 बजे तक बढ़ाएं ताकि अधिक से अधिक मरीजों को इस सुविधा का लाभ मिल सके।
राजपाल ने शनिवार को पीजीआईएमएस में टेली कंसल्टेशन सर्विस सेंटर का निरीक्षण करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि वर्तमान में यह सुविधा दोपहर एक बजे तक उपलब्ध है, जिसके तहत प्रदेश भर के सीएचसी और पीएचसी पर तैनात डॉक्टर पीजीआईएमएस के डॉक्टरों से ऑनलाइन जुड़ते हैं। वे मरीजों की स्थिति के बारे में पीजीआईएमएस के डॉक्टरों को जानकारी देते हैं, ताकि आगे के उपचार के लिए परामर्श मिल सके।
अतिरिक्त मुख्य सचिव ने मरीजों को विश्वस्तरीय सेवाएं प्रदान करने के लिए रोहतक पीजीआईएमएस निदेशक और सिविल सर्जन के बीच प्रभावी सहयोग पर भी जोर दिया। उन्होंने इस बात पर गर्व व्यक्त किया कि पीजीआईएमएस कई क्षेत्रों में सुपर-स्पेशलिटी सुविधाओं में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहा है और विभिन्न रैंकिंग में अच्छा प्रदर्शन कर रहा है।
अपने दौरे के दौरान राजपाल ने बताया कि संस्थान में प्रतिदिन 7,000-8,000 बाह्य रोगी विभाग (ओपीडी) सेवाएं उपलब्ध हैं और 24 घंटे आपातकालीन सेवाएं संचालित की जाती हैं। उन्होंने ट्रॉमा सेंटर, एलएसएल सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक, पीजीआईडीएस, एमएस ऑफिस और ऑर्थो वार्ड सहित प्रमुख क्षेत्रों का भी निरीक्षण किया।
पीजीआईएमएस के निदेशक डॉ. एसके सिंघल ने बताया कि एसीएस ने सबसे पहले ट्रॉमा सेंटर का दौरा किया, जहां उन्हें संचालन प्रणालियों के बारे में जानकारी दी गई और मरीजों की देखभाल की गुणवत्ता बढ़ाने के निर्देश दिए गए। इसके बाद उन्होंने एलएसएल बिल्डिंग में स्थित कार्डियक सर्जरी और कार्डियोलॉजी के सुपर स्पेशियलिटी विभाग का निरीक्षण किया, जहां उन्होंने दी जाने वाली सेवाओं के बारे में जानकारी हासिल की।
चिकित्सा अधीक्षक डॉ. कुंदन मित्तल ने बताया कि एसीएस ने सुझाव दिया कि टेली कंसल्टेंसी सेवा के इस्तेमाल के बारे में लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए एक अभियान चलाया जाना चाहिए। उन्होंने दावा किया कि बाद में उन्होंने वार्ड 12 का दौरा किया, मरीजों से बातचीत की और उपचार के अनुभवों के बारे में चर्चा की।
जनसंपर्क विभाग के प्रभारी डॉ. वरुण अरोड़ा ने बताया कि एसीएस ने सिविल सर्जन को सलाह दी कि मामूली बीमारियों वाले मरीजों का इलाज सिविल अस्पताल में किया जाना चाहिए, जबकि पीजीआईएमएस में उच्च स्तरीय उपचार पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए, ताकि सुपर-स्पेशलिटी डॉक्टरों को प्रत्येक मरीज के साथ अधिक समय बिताने का मौका मिल सके।
राजपाल ने ई-ऑफिस प्रणाली की स्थापना की भी वकालत की और निर्देश दिया कि ओपीडी विजिट, मरीज़ों के दाखिले, सर्जरी और वितरित की गई दवाओं की संख्या जैसे डेटा का विवरण देते हुए मासिक रिपोर्ट तैयार की जाए। उन्होंने मरीज़ों की देखभाल में निरंतर गुणवत्ता सुधार की आवश्यकता पर बल दिया।
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