February 2, 2025
National

उत्तर प्रदेश में 24 साल बाद बढ़ाई गई संस्कृत विद्यालयों/महाविद्यालयों के विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति

Scholarship for students of Sanskrit schools/colleges increased after 24 years in Uttar Pradesh

लखनऊ, 28 अगस्त । उत्तर प्रदेश सरकार ने मंगलवार को संस्कृत विद्यालयों और महाविद्यालयों के विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति में वृद्धि का निर्णय लिया है। संस्कृत की पढ़ाई करने वाले इन छात्रों की छात्रवृत्ति 24 साल बाद बढ़ाई गई है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में लोकभवन में आयोजित मंत्रिमंडल की बैठक में राज्य में संस्कृत विद्यालयों/महाविद्यालयों में अध्ययन करने वाली छात्र-छात्राओं के लिए वर्ष 2001 से लागू वर्तमान छात्रवृति दरों में संशोधन के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की गई। इससे पहले 2001 में छात्रवृत्ति तय हुई थी।

मंत्रिमंडल की बैठक में कुल 14 प्रस्ताव रखे गए, जिनमें 13 को मंत्रिमंडल से अनुमोदन प्राप्त हो गया।

माध्यमिक शिक्षा मंत्री गुलाब देवी ने बताया कि इसके अंतर्गत प्रथमा की कक्षा छह एवं सात के लिए 50 रुपये प्रतिमाह और कक्षा आठ के लिए 75 रुपये प्रतिमाह की छात्रवृत्ति निर्धारित की गई है। पूर्व मध्यमा (कक्षा 9वीं और 10वीं) के लिए 100 रुपये, उत्तर मध्यमा (कक्षा 11वीं और 12वीं) के लिए 150 रुपये, शास्त्री के लिए 200 रुपये एवं आचार्य के लिए 250 रुपये प्रति माह दिए जाने के प्रस्ताव पर मंत्रिपरिषद ने अनुमोदन प्रदान किया।

माध्यमिक शिक्षा मंत्री ने बताया कि संस्कृत की शिक्षा ग्रहण करने वाले ज्यादातर छात्र और छात्राएं निर्धन परिवारों से होते हैं। इसलिए संस्कृत शिक्षा के अंतर्गत छात्रवृत्ति की व्यवस्था की गई है। पहले कक्षा छह और सात के बच्चों के लिए छात्रवृत्ति की कोई व्यवस्था नहीं थी।

उन्होंने कहा कि आज के फैसले का लाभ सीधे-सीधे विद्यार्थियों को प्राप्त होगा। पहले प्रावधान था कि 50 हजार रुपये तक वार्षिक पारिवारिक आय वाले छात्र ही इसके पात्र होंगे, लेकिन अब इस शर्त को हटा दिया गया है। संस्कृत ही सभी भाषाओं की जननी है, इसलिए सरकार पूरी तरीके से इस पर ध्यान दे रही है। वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने बताया कि प्रदेश में कुल 517 संस्कृत विद्यालय हैं, जहां विद्यार्थी इस योजना का लाभ ले सकेंगे।

कैबिनेट के अन्य फैसलों में उत्तर प्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम द्वारा संचालित पर्यटक आवास गृहों को प्रबंधकीय संविदा के आधार पर निजी उद्यमियों के माध्यम से संचालित कराने की समय सीमा को पांच साल से बढ़ाकर 30 साल (15+15) कर दी गई है।

पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि विगत कुछ वर्षों में उत्तर प्रदेश में आने वाले देशी और विदेशी पर्यटकों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। 2016-17 में लगभग 16 करोड़ पर्यटक आए थे तो 2023 में 48 करोड़ पर्यटक उत्तर प्रदेश में आए। इस साल इसमें और वृद्धि होने की संभावना है। वहीं 2025 में महाकुंभ भी है, जिसमें बड़ी संख्या में पर्यटक प्रदेश में आएंगे। उनके ठहरने और खाने-पीने की व्यवस्था संभव हो सके, इसके लिए पर्यटन विकास निगम के पर्यटक आवास गृह संचालित किए जा रहे हैं। इनमें तमाम पर्यटक आवास गृह ऐसे हैं जो जीर्ण शीर्ण अवस्था में है और कर्मचारियों की कमी से भी जूझ रहे हैं। ऐसे में प्रदेश में निजी पर्यटन उद्यमियों को प्रोत्साहित करने एवं रोजगार के नए अवसर सृजित करने के उद्देश्य से निगम द्वारा संचालित इकाइयों को चरणबद्ध तरीके से न्यूनतम 15 वर्ष की अवधि एवं आगामी 15 वर्षों के लिए आपसी सहमति के आधार पर विस्तारित किए जाने का निर्णय लिया गया है। इसे निविदा आमंत्रित कर संचालित कराया जाएगा।

उन्होंने कहा कि निजी उद्यमियों के इकाइयों के संचालन से पर्यटकों को मिलने वाली सुविधाओं में गुणात्मक सुधार होगा, उद्यमिता को प्रोत्साहन मिलेगा तथा रोजगार के नए अवसर भी उत्पन्न होंगे। प्रत्येक वर्ष निवेशकर्ता द्वारा पर्यटन निगम को दी जाने वाली धनराशि में पांच प्रतिशत की वृद्धि का भी प्रावधान रखा जाएगा।

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