महाकुंभ नगर, 3 फरवरी। प्रयागराज महाकुंभ में डुबकी लगाने के लिए देशभर से श्रद्धालु आ रहे हैं। इस दौरान श्रद्धालुओं की बढ़ती भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन पर चार पहियों के आवागमन पर रोक लगा दी है। केवल कुछ मार्गों पर बाइक की अनुमति है और श्रद्धालु पांच से सात किलोमीटर पैदल चलकर त्रिवेणी संगम तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं।
विशेष रूप से बुजुर्ग श्रद्धालु अधिक कठिनाई महसूस कर रहे हैं। इन बुजुर्गों की मदद के लिए जिले के प्राइमरी स्कूलों के शिक्षकों ने ‘सेवा की सवारी’ की पहल शुरू की है। इस पहल के तहत, युवा शिक्षक अपनी बाइकों से बुजुर्गों और महिलाओं को निःशुल्क महाकुंभ क्षेत्र तक पहुंचा रहे हैं। इसके अलावा, बसंत पंचमी के पावन अवसर पर आने वाले श्रद्धालुओं के बीच निःशुल्क भंडारे का प्रसाद भी वितरित किया गया।
‘सेवा की सवारी’ की शुरुआत करने वाले शिक्षक बताते हैं कि हाल ही में कुछ बाइकर्स ने श्रद्धालुओं से मनमाने पैसे लेकर उनकी मजबूरी का फायदा उठाया था, जिससे महाकुंभ नगरी का नाम खराब हो रहा था। ऐसे में युवा शिक्षकों ने यह कदम उठाया है ताकि श्रद्धालुओं को नि:शुल्क सेवा मिल सके और उनका सफर सुखमय हो सके।
‘सेवा की सवारी’ से जुड़े राजेश राव ने आईएएनएस को बताया कि हमारी संस्था का यह उद्देश्य है कि जो श्रद्धालु महाकुंभ के दौरान दूर-दूर से प्रयागराज आए हैं, उन्हें स्नान के लिए संगम तक पहुंचने में कोई कठिनाई न हो। खासकर बुजुर्गों और महिलाओं को ध्यान में रखते हुए, हमने बाइक सेवा शुरू की है ताकि वह आसानी से मेला क्षेत्र तक पहुंच सकें। हमारी संस्था यह सुनिश्चित करना चाहती है कि यहां आने वाले श्रद्धालुओं को सही मार्गदर्शन मिले और उनका अनुभव अच्छा रहे।
विवेकानंद ने बताया कि पूरी दुनिया से लोग महाकुंभ में स्नान करने के लिए आ रहे हैं और इस दौरान भारी भीड़ होती है, हम शहरवासी होने के नाते अपनी जिम्मेदारी समझते हुए, बुजुर्गों और महिलाओं को संगम तक पहुंचाने में मदद कर रहे हैं। गाड़ियों की कमी के कारण हमने अपनी मोटरसाइकिल सेवा शुरू किया।
कार्यक्रम आयोजक आलोक श्रीवास्तव ने बताया कि मैं पूरी टीम का धन्यवाद करना चाहता हूं जिन्होंने इस महत्वपूर्ण आयोजन को सफल बनाया। विशेष रूप से बसंत पंचमी के दिन जो नि:शुल्क सेवा दी गई, वह बहुत सराहनीय है। इस सेवा का दायरा बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास किया गया है और इससे श्रद्धालुओं को काफी मदद मिल रही है।
कविता वर्मा ने बताया कि हमारी टीम की तरफ से जो नि:शुल्क सेवा दी जा रही है, वह हमारी जिम्मेदारी का हिस्सा है। हम इसे ‘अतिथि देवो भव’ की भावना से जोड़ते हुए लोगों की मदद कर रहे हैं। यह सेवा हमें संतुष्टि देती है और हम गर्व महसूस करते हैं कि हम प्रशासन की व्यवस्थाओं में अपना योगदान दे रहे हैं। इस कार्य को करने में हमें बहुत खुशी मिलती है और हम इसे जारी रखेंगे।
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