शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने आज हरियाणा सरकार की 14 अगस्त को हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एचएसजीपीसी) में 41 सदस्यों को मनोनीत करने पर आलोचना की।
एसजीपीसी प्रमुख ने कहा कि बंदी सिंहों (सिख राजनीतिक कैदियों) के साथ जो व्यवहार किया गया, उससे पता चलता है कि सिख आज भी गुलाम हैं। उन्होंने कहा कि कई बंदी सिंह 34 साल जेल में रहने के बाद भी सलाखों के पीछे हैं।
केंद्र द्वारा 2019 में लिए गए एक फैसले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इसमें कहा गया था कि बंदी सिंह को पैरोल पर रिहा किया जाएगा और बलवंत सिंह राजोआना की मौत की सजा माफ कर दी जाएगी।
धामी ने कहा, “एसजीपीसी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिलने के लिए एक प्रतिनिधिमंडल भेजेगी और उनसे राजोआना की दया याचिका का समर्थन करने का अनुरोध करेगी।”
अन्य निर्णयों में, एसजीपीसी कार्यकारिणी ने अपने कर्मचारियों को चार प्रतिशत महंगाई भत्ता, एक नौकरी तथा सेवादार बलदेव सिंह के परिवार को पांच लाख रुपये देने का निर्णय लिया, जिनकी हाल ही में गर्म बर्तन में फिसलकर मृत्यु हो गई थी।
इसी तरह, फिरोजपुर के एक गुरुद्वारे में एलपीजी विस्फोट में घायल हुए एक सेवादार के परिवार को नौकरी और पांच लाख रुपये की सहायता की पेशकश की गई। एसजीपीसी ने सिलेंडर विस्फोट में घायल हुए एक अन्य सेवादार और पांच बच्चों के परिवारों को भी 75,000 रुपये की सहायता देने की पेशकश की।
इसके अलावा, ‘सबत सूरत’ के जरमनप्रीत सिंह को पांच लाख रुपये देने की भी घोषणा की गई, जो पेरिस ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम का हिस्सा थे।
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