April 2, 2025
Himachal

पंचायती जमीन को पट्टे पर देने के ग्राम प्रधानों के अधिकार वापस लिए गए

The rights of village heads to lease panchayat land were withdrawn

ग्रामीण विकास एवं पंचायत विभाग ने राज्य में पंचायती जमीन को पट्टे पर देने के ग्राम प्रधानों के अधिकार वापस ले लिए हैं। पहले ग्राम प्रधानों को अपने क्षेत्र में पंचायती जमीन आवंटित करने का अधिकार था। लेकिन अब पंचायती जमीन को पट्टे पर देने के लिए ब्लॉक, उपमंडल और जिला स्तर पर कमेटियां गठित कर दी गई हैं।

सूत्रों का कहना है कि सरकार ने यह कदम इसलिए उठाया है क्योंकि राज्य में कई गांवों में पंचायती जमीन का आवंटन मनमाने तरीके से किया जा रहा था। ग्रामीण विकास एवं पंचायत विभाग में पंचायती जमीन को पट्टे पर देने के लिए कोई वस्तुनिष्ठ मानदंड निर्धारित नहीं थे। इसलिए, ग्राम प्रधान अपनी मर्जी से पंचायती जमीन का आवंटन कर रहे थे, जिससे कई मामलों में कानूनी विवाद पैदा हो रहे थे और राज्य को राजस्व का नुकसान हो रहा था।

ग्रामीण विकास एवं पंचायत निदेशक राघव शर्मा ने बताया कि विभाग ने ग्राम प्रधानों से पंचायती संपत्तियां सीधे आवंटित करने के अधिकार वापस ले लिए हैं। उन्होंने बताया कि पहले पंचायती संपत्तियां पट्टे पर देने के लिए कोई मापदंड नहीं था, लेकिन अब ब्लॉक स्तर पर समितियां बनाने के आदेश जारी कर दिए गए हैं, जिनका नेतृत्व खंड विकास अधिकारी करेंगे। उपमंडल स्तर पर एसडीएम समितियों का नेतृत्व करेंगे और जिला स्तरीय समितियों का नेतृत्व उपायुक्त करेंगे।

उन्होंने कहा कि क्षेत्र और व्यावसायिक मूल्य के आधार पर पंचायती भूमि आवंटित करने की शक्तियां इन समितियों को दी जाएंगी। इसके अलावा, यह भी आदेश जारी किए गए हैं कि पंचायती भूमि को पट्टे पर देने के लिए मूल मानदंड के रूप में पीडब्ल्यूडी दरों का पालन किया जाना चाहिए।

शर्मा ने कहा कि इस निर्णय से पंचायती सम्पत्तियों को पट्टे पर देने में पारदर्शिता आएगी।

सरकारी आदेशों के अनुसार, सभी डिप्टी कमिश्नरों को पिछले पांच वर्षों में पंचायतों द्वारा निष्पादित लीज या किराए के समझौतों की समीक्षा करने के लिए कहा गया है। डिप्टी कमिश्नर समीक्षा करेंगे और देखेंगे कि पिछले पांच वर्षों में पंचायतों द्वारा निष्पादित लीज या किराए के समझौते पंचायती राज अधिनियम के वैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करते हैं या नहीं। सरकार ने डीसी को निर्देश दिया है कि अगर पंचायतों द्वारा निष्पादित किराया या लीज समझौते पंचायती राज अधिनियम का उल्लंघन करते हैं तो उन्हें रद्द कर दिया जाए।

डीसी को पिछले पांच वर्षों में निष्पादित समझौतों की समीक्षा पर अगले तीन महीनों में अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा गया है।

सूत्रों का कहना है कि सरकार ने आदेश दिया है कि पंचायती जमीन का किराया या लीज एग्रीमेंट रद्द होने की स्थिति में जल्द से जल्द नीलामी की जाए ताकि राज्य सरकार को राजस्व का नुकसान न हो।

सूत्रों का कहना है कि इन आदेशों के बाद कांगड़ा और ऊना जिलों में खनन के लिए लीज पर दी गई पंचायती जमीन की समीक्षा हो सकती है। कई मामलों में पंचायतों ने दुकानों या अन्य व्यावसायिक संपत्तियों के निर्माण के लिए स्थानीय लोगों को जमीन लीज पर दी है।

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