February 11, 2025
Uttar Pradesh

मंदिर मुक्ति आंदोलन की रणनीति के साथ महाकुंभ में संपन्न हुई विहिप की तीन दिवसीय बैठक

Three day meeting of VHP concluded in Mahakumbh with the strategy of temple liberation movement

महाकुंभ नगर, 10 फरवरी । महाकुंभ मेला क्षेत्र स्थित विश्व हिंदू परिषद (विहिप) शिविर में चल रही त्रि-दिवसीय बैठक रविवार को इस संकल्प से साथ पूरी हो गई कि अब किसी भी स्थिति में हम मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्ति दिला कर ही रहेंगे।

बैठक में उपस्थित देश-विदेश के 950 प्रतिनिधियों ने मिलकर एक बड़ी रणनीति भी बनाई है। इस बारे में जानकारी देते हुए विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष आलोक कुमार ने रव‍िवार को कहा कि मंदिर मुक्ति आंदोलन के प्रथम चरण में विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ता अन्य हिंदू संगठनों के साथ मिलकर प्रत्येक राज्य के मुख्यमंत्री को ज्ञापन दे कर मांग करेंगे कि सरकारें हिंदू मंदिरों को वापस हिंदू समाज को सौंपें। उन्‍हाेंने कहा क‍ि उत्तर और दक्षिण भारत में बड़ी जनसभाएं कर इस संबंध में अपनी मांगें बुलंद करेंगे।”

विहिप प्रतिनिधि जब अलग-अलग राज्यों के मुख्यमंत्रियों को मिलने जाएंगे, तो वह उस राज्य के लिए इस संबंध में प्रस्तावित कानून का एक प्रारूप भी उनको सौंपेंगे।

आंदोलन के दूसरे चरण में प्रत्येक राज्य की राजधानी और महानगरों में वहां के बुद्धिजीवी समाज की सभाएं कर इसके लिए व्यापक जन समर्थन जुटाएंगे। जिन राज्यों में यह समस्या ज्यादा विकट है, वहां आगामी विधानसभा सत्र के दौरान हमारे कार्यकर्ता विधानसभा और विधान परिषद के सदस्यों से मिलेंगे। हमारा उद्देश्य वहां के राजनीतिक दलों पर मंदिरों की मुक्ति के लिए दबाव बनाना है।

विहिप अध्यक्ष ने बताया कि बैठक में इस बात पर भी सहमति बनी कि मंदिरों को अपने नियमित कामकाज के संचालन हेतु अधिकतम स्वतंत्रता होनी चाहिए। मंदिर प्रबंधन में किसी भी प्रकार का बाहरी नियंत्रण अब स्वीकार्य नहीं होगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि मंदिर मुक्ति आंदोलन में हम केवल उन्हीं मंदिरों की बात कर रहे हैं, जो अभी तक सरकारी नियंत्रण में है, अन्य मंदिरों की नहीं।

आलोक कुमार ने कहा कि हमारा मत है कि मंदिर के पैसों को केवल हिंदू कार्यों के लिए खर्च किया जाना चाहिए। इस संबंध के कानून में पूरी तरह से पारदर्शी खाते और अंकेक्षण की व्यवस्था होगी। मंदिरों के संचालन में संपूर्ण हिंदू समाज की सहभागिता और मंदिरों के लिए बने ट्रस्ट में अन्य लोगों के साथ महिलाओं और अनुसूचित समाज का प्रतिनिधित्व भी होगा।

मंदिरों के अर्चकों, पुरोहितों और अन्य कर्मचारियों को मिलने वाले वेतन और भत्तों में कोई कमी नहीं की जाएगी। किसी भी हालत में उनका वेतन उस राज्य के लिए निर्धारित न्यूनतम वेतन से काम नहीं होगा।

बैठक में देश भर के सभी प्रांतों के अलावा ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा, जर्मनी, हांगकांग मॉरीशस, दक्षिणी अफ्रीका, फ्रांस, थाईलैंड, श्रीलंका, नेपाल, बांग्लादेश, गुयाना जैसे अनेक देशों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

बैठक में पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक समरसता, कुटुंब प्रबोधन, नागरिक कर्तव्य, स्वदेशी व स्व का बोध जैसे पांच परिवर्तनों को भी जनमानस के आचार व्यवहार और संस्कारों का हिस्सा बनाने का संकल्प लिया गया। विश्व भर में हिंदू समाज से जुड़े अन्य ज्वलंत मुद्दों पर भी विस्तार से विचार-विनिमय हुआ।

बैठक में युग पुरुष स्वामी परमानंद महाराज और बौद्ध लामा चोस फेल ज्योतपा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसवोले तथा पूर्व सरकार्यवाह और विहिप के पालक अधिकारी भैया जी जोशी भी उपस्थित रहे।

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