N1Live National झारखंड में धर्मांतरित आदिवासियों को एसटी आरक्षण से बाहर करने का मुद्दा गरमाया, रविवार को रांची में बड़ी रैली
National

झारखंड में धर्मांतरित आदिवासियों को एसटी आरक्षण से बाहर करने का मुद्दा गरमाया, रविवार को रांची में बड़ी रैली

Uproar over exclusion of convert quota from ST night in Jharkhand, big rally in Ranchi on Sunday

रांची, 24 दिसंबर । झारखंड में धर्मांतरित आदिवासियों को एसटी आरक्षण की सूची से बाहर करने का मुद्दा एक बार फिर गरमा गया है। हिंदूवादी संगठनों द्वारा समर्थित जनजाति सुरक्षा मंच ने रांची के मोरहाबादी मैदान में रविवार को ‘उलगुलान आदिवासी डिलिस्टिंग रैली” करने का ऐलान किया है।

पूर्व लोकसभा उपाध्यक्ष और झारखंड के खूंटी इलाके से आठ बार लोकसभा सांसद रहे कड़िया मुंडा इसकी अगुवाई कर रहे हैं। कड़िया मुंडा का दावा है कि इस रैली में पूरे राज्य से एक लाख से ज्यादा आदिवासी इकट्ठा होंगे। मंच की मांग है कि जिन आदिवासियों ने धर्म परिवर्तन कर लिया है, उन्हें आरक्षण नहीं मिलना चाहिए।

उन्होंने कहा है कि डिलिस्टिंग का यह मुद्दा झारखंड से कई टर्म सांसद रहे कार्तिक उरांव ने 1967 में ही उठाया था। उन्होंने इसे संयुक्त संसदीय समिति के समक्ष रखा था। उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री को 235 सांसदों के हस्ताक्षर वाला मेमोरेंडम सौंपा था। इसमें कहा गया था कि कोई भी व्यक्ति, जिसने जनजाति समाज के आदि मत और विश्वासों का परित्याग कर दूसरा धर्म ग्रहण कर लिया हो, उसे अनुसूचित जनजाति का सदस्य नहीं समझा जाना चाहिए। देश के 700 से ज्यादा जनजातियों के विकास के लिए संविधान निर्माताओं ने आरक्षण एवं अन्य सुविधाओं का प्रावधान किया था, लेकिन इसका लाभ वो लोग उठा रहे हैं, जिन्होंने जनजातीय धर्म और परंपरा को छोड़कर दूसरे धर्म को अपना लिया है।

कड़िया मुंडा ने यह भी कहा है कि हमारा यह कार्यक्रम, आदिवासी-जनजाति की एक बड़ी आबादी के साथ किये जा रहे ‘धर्मांतरण’ के षडयंत्र के ख़िलाफ़ एक संगठित मुहिम है।

इस रैली में देश के कई राज्यों में सक्रिय संघ-भाजपा संचालित आदिवासी संगठनों के बड़े-बड़े नेताओं के रांची पहुंचने की ख़बरें आ रही हैं। यह भी बताया जा रहा है कि डीलिस्टिंग रैली के आयोजकों ने राज्यपाल से मिलकर उन्हें भी आने का न्योता दिया तो उन्होंने कार्यक्रम से पूरी सहमति जताई है और आने की स्वीकृति भी दी।

दूसरी तरफ कई आदिवासी संगठन डिलिस्टिंग की मांग का विरोध कर रहे हैं। आदिवासी समन्वय समिति, आदिवासी जन परिषद जैसे संगठनों का कहना है कि धर्म बदलने से आदिवासियत पर कोई असर नहीं पड़ता। इस तरह की मांग आदिवासी समाज में दरार डालने की साजिश है।

Exit mobile version