January 28, 2025
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हृदय रोग, पित्त पथरी और पेट के कैंसर से पीड़ित मरीज की 7 घंटे तक चली ट्रिपल सर्जरी बेंगलुरु, 27 मई (आईएएनएस)। हृदय रोग, पित्त पथरी और पेट के कैंसर से पीड़ित 44 वर्षीय एक व्यक्ति की बेंगलुरु के फोर्टिस अस्पताल में सफल सर्जरी की गई। यह ट्रिपल सर्जरी 7 घंटे तक चली। मरीज कोप्पाराम पिछले तीन वर्षों से मधुमेह और हृदय रोग की समस्‍या से पीड़ित था। उसे सामान्य एनेस्थीसिया के तहत एक सत्र में कोरोनरी आर्टरी बाईपास ग्राफ्टिंग, पित्ताशय की पथरी को हटाने और कोलन कैंसर सर्जरी की एक साथ तीन जटिल प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ा। पेट में लगातार दर्द होने के बाद मरीज को कनिंघम रोड स्थित फोर्टिस अस्पताल लाया गया। डॉक्‍टरों ने व्‍यक्ति का अल्ट्रासाउंड किया, जिसके बाद पित्त पथरी के बारे में पता चला। आगे की जांच के बाद मरीज के बृहदान्‍त्र (कोलन) में कैंसर की वृद्धि देखी गई, जिससे कोप्पाराम के उपचार में महत्वपूर्ण चुनौती सामने आई। विशेष रूप से उनकी पहले से मौजूद हृदय की स्थिति के कारण डॉक्‍टरों को काफी परेशानी हुई। डॉक्टरों ने कहा कि कोलन कैंसर की सर्जरी करने से पहले सीएबीजी करना महत्वपूर्ण था, ताकि यह जाना जा सके कि मरीज का दिल स्थिर है या नहीं। डॉक्‍टरों ने कहा कि यदि कार्डियक सर्जरी पहले की गई होती, तो कोलन कैंसर सर्जरी के लिए तीन महीने का इंतजार करना पड़ता। मगर ट्यूमर के बढ़ने के कारण इसमें देरी करना सही नहीं था। हृदय की सर्जरी करने के लिए ऑफ-पंप कोरोनरी आर्टरी बाईपास (ओपीसीएबी) नामक एक विशेष सर्जिकल तकनीक का उपयोग किया, जिसमें चार ग्राफ्ट (रक्त वाहिकाएं, जिन्हें क्षतिग्रस्त लोगों की मरम्मत या बदलने के लिए रोगी के शरीर में प्रत्यारोपित किया जाता है) के साथ किया गया। फोर्टिस में कार्डियक साइंसेज के अध्यक्ष विवेक जवाली ने कहा, “पारंपरिक दृष्टिकोण के विपरीत, यह विधि हृदय-फेफड़े की मशीन की जरूरत खत्‍म कर देती है। हमने इसमें हृदय की सावधानीपूर्वक निगरानी की और सर्जरी के दौरान रक्तचाप और शर्करा के स्तर को सामान्य रखने के लिए दवाएं दीं।” उन्होंने कहा, “हृदय में अवरुद्ध धमनियों के चारों ओर नए रास्ते बनाने के लिए हमने मरीज के शरीर से चार रक्त वाहिकाएं लीं। इससे हृदय की मांसपेशियों में रक्त के प्रवाह को बेहतर बनाने में मदद मिली।” टीम ने कैंसर से प्रभावित कोलन के एक हिस्से को हटाने के लिए लेप्रोस्कोपिक एक्सटेंडेड राइट हेमिकोलेक्टोमी के साथ-साथ पित्ताशय की पथरी को हटाने के लिए लेप्रोस्कोपिक कोलेसिस्टेक्टोमी भी की। फोर्टिस में जीआई मिनिमल एक्सेस और बेरिएट्रिक सर्जरी के निदेशक गणेश शेनॉय ने कहा, ”इस जटिल प्रक्रिया के लिए सटीक समन्वय की जरूरत थी और इसने सर्जिकल जोखिमों को कम किया, साथ ही मरीज को तेजी से ठीक होने में मदद की।” डॉक्टरों ने कहा कि सर्जरी के 15 दिन बाद मरीज को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई और वह बिना किसी जटिलता के अपनी सामान्य दैनिक गतिविधियां शुरू कर चुका है। –आईएएनएस एमकेएस/एसजीके

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भगवंत मान सरकार के मंत्री के आपत्तिजनक वीडियो के बाद सियासत तेज, भाजपा ने बोला हमला चंडीगढ़, 27 मई (आईएएनएस)। पंजाब के स्थानीय निकाय मंत्री बलकार सिंह की कथित रूप से आपत्तिजनक वीडियो सामने आने के बाद सियासत तेज हो गई है। वीडियो वायरल होने के बाद विपक्ष की ओर से आम आदमी पार्टी की सरकार पर कई तरह के सवाल खड़े किए जा रहे हैं। भाजपा के पंजाब प्रभारी और गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने हमला बोलते हुए कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से लेकर उनके सभी मंत्रियों का असली चेहरा सामने आ गया है और वह एक्सपोज हो चुके हैं। उनके मंत्रियों के व्यवहार और जो वह काम कर रहे हैं, वह बेहद शर्मनाक है। कोई लड़की उनके खिलाफ शिकायत करेगी तभी कार्रवाई होगी। विजय रुपाणी ने कहा कि आम आदमी पार्टी के लोग रेत माफिया, शराब माफिया और ड्रग्स माफिया से मिले हुए हैं। पंजाब की पूरी जनता आम आदमी पार्टी की सरकार से त्रस्त हो गई है और उनसे छुटकारा पाने के लिए भाजपा का साथ दे रही है। उन्होंने कहा कि जब चरणजीत सिंह चन्नी पंजाब के मुख्यमंत्री थे तो रेत माफिया, शराब और ड्रग्स को लेकर उस वक्त कोई कार्रवाई नहीं की थी और आज वह बोल रहे हैं। –आईएएनएस एकेएस/एबीएम

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झारखंड मंत्री आलमगीर की तीसरी बार बढ़ी तीन दिनों की रिमांड रांची, 27 मई (आईएएनएस)। झारखंड के टेंडर कमीशन घोटाले में कोर्ट ने राज्य सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम की ईडी रिमांड तीसरी बार तीन दिनों के लिए बढ़ा दी है। इसके पहले उनसे 11 दिनों तक रिमांड में पूछताछ हो चुकी है। दूसरी रिमांड की अवधि सोमवार को पूरी होने के बाद मंत्री आलमगीर आलम को ईडी ने कड़ी सुरक्षा के बीच रांची पीएमएलए की स्पेशल कोर्ट में पेश किया। ईडी का पक्ष रखते हुए लोक अभियोजक शिव कुमार उर्फ काका ने आलमगीर आलम से पूछताछ के लिए और पांच दिनों की रिमांड का अनुरोध किया, लेकिन इसका आलमगीर आलम के अधिवक्ता ने पुरजोर विरोध किया। इसके बाद कोर्ट ने तीन दिनों के लिए रिमांड बढ़ाने का आदेश दिया। बता दें कि ईडी ने मंत्री आलमगीर आलम को पीएस संजीव लाल के ठिकानों से 32 करोड़ 20 लाख रुपये कैश की बरामदगी के मामले में 15 मई की शाम गिरफ्तार किया था। इसके पहले उनसे 14 और 15 मई को कुल मिलाकर करीब 14 घंटे पूछताछ की गई थी। इस मामले में मंत्री को पीएस संजीव कुमार लाल और उनके नौकर जहांगीर आलम को 7 मई को ही गिरफ्तार कर लिया गया था। इन दोनों से 14 दिनों तक रिमांड पर पूछताछ की गई है और दोनों को पिछले मंगलवार को कोर्ट में पेश करने के बाद न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है। ईडी ने कोर्ट को बताया कि ग्रामीण विकास विभाग में टेंडर कमीशन घोटाले में इंजीनियर, अधिकारी व मंत्री का एक संगठित गिरोह सक्रिय था। ईडी ने नमूने के तौर पर जनवरी महीने में पारित 92 करोड़ के 25 टेंडर के ब्यौरे से संबंधित एक पेपर भी कोर्ट में जमा किया है, जिसमें यह स्पष्ट लिखा हुआ है कि मंत्री आलमगीर आलम ने सभी 25 टेंडर में कमीशन के रूप में 1.23 करोड़ रुपये लिए थे। इधर, इसी केस में पुलिस ने झारखंड के ग्रामीण विकास विभाग के पूर्व सचिव और सीनियर आईएएस मनीष रंजन को भी समन किया है। उन्हें 28 मई को ईडी के जोनल कार्यालय में उपस्थित होने को कहा गया है। –आईएएनएस एसएनसी/एसकेपी

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जहानाबाद में त्रिकोणीय मुकाबला; जदयू, राजद जातीय समीकरण के ‘चक्रव्यूह’ में जहानाबाद, 27 मई (आईएएनएस)। सोन, पुनपुन और फल्गु नदी से सिंचित जहानाबाद की चर्चा कुछ वर्षों पहले नक्सलवाद को लेकर होती थी, लेकिन समय बदला और इस चुनाव में यहां विकास की चर्चा भी खूब हो रही है। कृषि प्रधान इस क्षेत्र से अब तक भाजपा का सांसद नहीं रहा है। हालांकि उसकी सहयोगी पार्टी जदयू का परचम लहराता रहा है। गुफाओं के लिए प्रसिद्ध जहानाबाद में इस चुनाव में मुकाबला दिलचस्प है। जदयू ने एक बार फिर चंद्रेश्वर प्रसाद को चुनावी मैदान में उतारा है, जबकि राजद की ओर से विधायक सुरेंद्र प्रसाद यादव यहां से ताल ठोंक रहे हैं। वहीं पूर्व सांसद अरुण कुमार के बसपा से चुनाव मैदान में उतर जाने से यहां की लड़ाई रोचक हो गयी है। अरवल, कुर्था, जहानाबाद, घोसी, मखदुमपुर और अतरी छह विधानसभा वाले इस लोकसभा क्षेत्र में दोनों गठबंधन को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जहानाबाद में अंतिम चरण में एक जून को मतदान होना है। पूरी तरह परिणाम को लेकर तस्वीर साफ नहीं है, लेकिन लोग इस बात की तस्दीक जरूर कर रहे हैं कि अगर एनडीए लोगों के क्रोध, नाराजगी को दूर कर सकी तो उसके लिए राह आसान होगी। यहां के युवा नरोत्तम आईएएनएस से कहते हैं कि सांसद आते हैं क्या? कभी अपनी गाड़ी भी यहां रोकी? वे कहते हैं कि प्रदेश में जंगलराज के लोगों को नहीं आने देंगे, लेकिन हम लोगों को सम्मान भी चाहिए। साफ है कि लोगों की नाराजगी सांसद से है। इधर, एनडीए ने नाराजगी दूर करने के लिए पूरी टीम उतार दी है। बताया जाता है कि पूर्व राज्यसभा सदस्य दिवंगत महेंद्र प्रसाद उर्फ किंग महेंद्र के भाई और अरिस्टो फार्मा के प्रमुख भोला शर्मा भी पिछले दिनों मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात के बाद क्षेत्र में पहुंच गए, लोगों की नाराजगी दूर करने में जुटे हैं। इस परिवार का इस क्षेत्र में अपना महत्व है। वे भूमिहार सम्मेलन बुलाकर भी नाराजगी दूर करने की कोशिश कर रहे हैं। एनडीए के एक नेता ने कहा कि सभी गांव में भूमिहार समाज के नेता पहुंच रहे हैं और लोगों से माफी मांग कर नाराजगी दूर करने में जुटे हैं। जहानाबाद में जदयू के पुराने वोटर का गुस्सा इस बात को लेकर है कि उनके सांसद उनके पास नहीं आए। गुस्से का एक कोण यह भी है कि जिस भूमिहार जाति के लोगों ने जदयू को पिछली बार वोट दिया था, उस जाति से प्रत्याशी नहीं मिला। इधर, अरवल नगर के कोनिका गांव में 20 से 25 घर रविदास टोला में है। यहां के सुमन कुमार ने कहा कि वोट तो किसी न किसी को देना ही है। अभी तय नहीं किया है कि किस को देंगे। हालांकि वे यह कहते हैं कि बसपा इस चुनाव में बेहतर स्थिति में है। पलायन और सिंचाई को लेकर भी यहां के लोग बात करते हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में जदयू के चंदेश्वर प्रसाद को जीत हासिल हुई थी और उन्हें 3.35 लाख से अधिक वोट मिले थे। राजद प्रत्याशी सुरेंद्र प्रसाद यादव दूसरे स्थान पर रहे थे, जिन्हें 3.33 लाख वोट मिले थे। चंद्रेश्वर 1800 से कम मतों से विजयी हुए थे। भूमिहार बाहुल्य इस इलाके में जातीय समीकरण चुनाव परिणाम को प्रभावित करते रहे हैं। जहानाबाद लोकसभा क्षेत्र में लगभग 16 लाख से अधिक मतदाता हैं। यहां यादव और भूमिहार मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है। यहां पर सभी बड़ी पार्टियां कुछ चुनावों को छोड़कर इन्हीं जातियों के नेताओं को अपना प्रत्याशी बनाती रही हैं। एससी-एसटी, कुशवाहा और मुस्लिम वोटर भी चुनाव में निर्णायक भूमिका में रहते हैं। माना जा रहा है कि इस चुनाव में बसपा प्रत्याशी अरुण कुमार भूमिहार वोट के समीकरण बिगाड़ सकते हैं। इसके साथ आशुतोष भी चुनाव मैदान में निर्दलीय लड़ रहे हैं। इसके कारण एनडीए उम्मीदवार की मुश्किलें और बढ़ सकती है। दूसरी तरफ राजद नेता मुन्नी लाल यादव टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर इस बार चुनाव मैदान में निर्दलीय कूद पड़े हैं। यादव वोट बैंक पर उनकी नजर है। इनके आने से राजद उम्मीदवार की मुश्किलें बढ़ गई हैं। जहानाबाद से यादव और भूमिहार जाति के उम्मीदवार ही अधिकांश बार जीतते आए हैं। –आईएएनएस एमएनपी/एसकेपी