करनाल की मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) खुशबू गोयल ने 2014 के एक धोखाधड़ी मामले में तत्कालीन नायब तहसीलदार, ब्लॉक विकास एवं पंचायत अधिकारी (बीडीपीओ) और सरपंच सहित 13 लोगों को सात साल के साधारण कारावास की सजा सुनाई है। अदालत ने प्रत्येक दोषी जय सिंह, हरीश कुमार, कुलजीत सिंह दहिया, करमबीर, राजिंदर पाल, ईश्वर सिंह, करम सिंह, जसपाल, दलेल सिंह, देसराज, ईश्वर सिंह (नंबरदार), ईश्वरी देवी और राज कुमार पर 40,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया।
अदालत ने आदेश दिया कि जुर्माना अदा न करने की स्थिति में प्रत्येक दोषी को तीन महीने की अतिरिक्त साधारण कारावास की सजा भुगतनी होगी।
अदालत के रिकॉर्ड के अनुसार, कुरुक्षेत्र निवासी कुलवंत सिंह की शिकायत पर जून 2014 में करनाल जिले के बुटाना पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया था। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि असामाजिक तत्वों के एक समूह ने सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत से अरजाहेरी गांव में सरकारी भूखंडों को अवैध रूप से अपने नाम पर स्थानांतरित कर दिया और बाद में उन्हें बेच दिया।
अदालत ने गौर किया कि आरोपियों ने सरकारी कर्मचारियों की मिलीभगत से तैयार किए गए फर्जी दस्तावेजों का इस्तेमाल करते हुए, जबकि वे उन भूखंडों के कानूनी मालिक नहीं थे, शिकायतकर्ता को ऐसे दो भूखंड बेच दिए। आदेश में आगे कहा गया है कि दो सरकारी भूखंडों के आवंटन पत्र, जो किसी भी निजी व्यक्ति को आवंटित नहीं किए गए थे, जाली और मनगढ़ंत थे, जिसके बाद बिक्री विलेख निष्पादित किए गए और जमीन को आरोपियों के बीच स्थानांतरित कर दिया गया।
अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा, “आरोपियों ने बेईमानी से राज्य की संपत्ति हासिल की,” और आगे कहा कि निजी व्यक्तियों और सरकारी कर्मचारियों ने राज्य सरकार को धोखा देने के लिए साजिश रची।

