मुख्यमंत्री सुखविन्दर सिंह सुक्खू ने आज कहा कि आपदा की स्थिति में नुकसान को रोकने के लिए सभी सरकारी संस्थानों का निर्माण नदियों से कम से कम 150 मीटर की दूरी पर किया जाएगा।
सुखू ने कहा कि यह निर्णय लिया गया है कि आपदा की स्थिति में नुकसान से बचने के लिए नदियों, नालों और अन्य जल निकायों के 150 मीटर के दायरे में किसी भी सरकारी निर्माण की अनुमति नहीं दी जाएगी। उन्होंने आगे कहा, “सभी सरकारी संस्थानों का निर्माण नदियों से काफी दूरी पर किया जाएगा ताकि स्थल विकास पर होने वाले खर्च से बचा जा सके।” इन सभी पहलुओं पर विचार करने के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा, जिसमें जल स्तर का अध्ययन भी शामिल है।
उन्होंने कहा कि नदियों के किनारे रहने वाले लोगों के पुनर्वास के मुद्दे पर विचार करने के लिए एक उच्च-स्तरीय समिति का भी गठन किया गया है ताकि जान-माल की हानि और सार्वजनिक एवं निजी संपत्ति को होने वाले नुकसान से बचा जा सके। उन्होंने आगे कहा, “हम मंडी में स्थिति पर नियमित रूप से नज़र रख रहे हैं, जहाँ मंगलवार को बादल फटने से तीन लोगों की मौत हो गई। ज़िला प्रशासन, एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमें प्रभावित लोगों तक बचाव और राहत पहुँचाने के लिए चौबीसों घंटे काम कर रही हैं।”
राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी और लोक निर्माण विभाग मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने मंगलवार को विपक्ष के नेता जय राम ठाकुर की बारिश आपदा के मद्देनजर क्षेत्र-विशिष्ट राहत पैकेज की मांग करने के लिए आलोचना की।
उन्होंने कहा, “क्षेत्र-विशेष को राहत देने की मांग करना गलत है और पूरे राज्य के साथ समान व्यवहार किया जाना चाहिए। इसमें कोई भेदभाव और स्वार्थ नहीं होना चाहिए और जय राम ठाकुर, जो पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में विपक्ष के नेता हैं, को यह बात समझनी चाहिए।”