उत्तर भारत के विभिन्न पुलिस कल्याण संगठनों ने आज आरोप लगाया कि आईपीएस अधिकारी वाई. पूरन कुमार की आत्महत्या उस ‘घुटन भरी’ व्यवस्था को दर्शाती है जिसमें ईमानदार अधिकारी जीवित रहने के लिए संघर्ष करते हैं। उन्होंने कहा कि वे 2006 में उसके द्वारा अनुशंसित लंबे समय से लंबित पुलिस सुधारों के कार्यान्वयन के लिए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे।
हरियाणा पुलिस संगठन, दिल्ली पुलिस गैर-राजपत्रित सेवानिवृत्त अधिकारी संघ, पंजाब पुलिस संगठन, चंडीगढ़ (यूटी) पुलिस संगठन, हिमाचल प्रदेश पुलिस संगठन और अखिल भारतीय पुलिस कल्याण परिषद के प्रतिनिधियों ने चंडीगढ़ में दिवंगत आईपीएस अधिकारी को श्रद्धांजलि अर्पित की और उन्हें ‘एक बहादुर और ईमानदार अधिकारी बताया, जो अपनी पूरी सेवा के दौरान न्याय और ईमानदारी के लिए खड़े रहे।’
मृतक अधिकारी की पत्नी आईएएस अधिकारी अमनीत पी कुमार को संबोधित एक शोक संदेश में, उन्होंने उनके दुखद निधन पर दुख व्यक्त किया और कहा कि इसने पुलिस बिरादरी को हिलाकर रख दिया है।
मीडिया में आई खबरों के अनुसार, अधिकारी के कथित सुसाइड नोट की विषय-वस्तु का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यह पुलिस ढांचे में व्यवस्थागत समस्याओं तथा सुधारों को लागू करने में विफलता की ओर इशारा करता है।
उन्होंने बताया कि लगभग तीन दशक पहले, वरिष्ठ पुलिस अधिकारी प्रकाश सिंह और अन्य ने एक याचिका दायर की थी जिसके परिणामस्वरूप 2006 में एक ऐतिहासिक फैसला आया, जिसमें केंद्र और राज्य सरकारों को पुलिस व्यवस्था में संरचनात्मक सुधार लाने का निर्देश दिया गया था। हरियाणा पुलिस संगठन के अध्यक्ष दिलावर सिंह ने कहा, “हालांकि, इन निर्देशों को लागू करने में सरकारों की उदासीनता ने ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं को जन्म दिया है।”
एक संयुक्त बयान में, संगठनों ने कहा कि वे हस्तक्षेप के लिए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएँगे। उन्होंने कहा, “हमें पुलिस मामलों में राजनीतिक नाटकबाज़ी से बचना चाहिए। संगठन पुलिस सुधारों के मुद्दे को सर्वोच्च न्यायालय तक ले जाएँगे।”